गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 10 अगस्त 2024, शनिवार : बिहार भाजपा के क्षेत्रीय प्रभारी सह प्रेस पैनल के सदस्य मनीष कुमार पांडेय ने विपक्षी दलों पर आरोप लगाते हुए कहा कि, वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध सिर्फ वोट बैंक की राजनीति को साधने के लिए किया जा रहा है। पूर्व की काँग्रेस सरकारों ने भी कई बार इसमे संशोधन किए हैं। सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यादा सम्पत्ति अगर देश के अंदर किसी के पास है तो वह वक्फ बोर्ड के पास ही है। लगभग दस लाख एकड़ जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। जब देश का बंटवारा हुआ तब पाकिस्तान के रहने वाले हिन्दुओं की संपत्ति को वहाँ की सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया जबकि भारत से पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों ने अपनी संपत्ति वक्फ बोर्ड को दान कर दी। इतना अधिक धनवान होने के बावजूद वक्फ बोर्ड ने देश के मुसलमानों की शिक्षा, स्वास्थ्य, बच्चों के पोषण से लेकर बुजुर्गों तक कि सहायता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ना तो कोई अस्पताल बनवाया और ना ही कोई स्कूल। गरीब, अनाथ बच्चों के लिए ना तो कोई अनाथालय खुलवाया और ना ही बुजुर्गों के लिए आश्रय स्थल।
श्री पांडेय ने आरोप लगाते हुए कहा कि, वक्फ बोर्ड की केंद्रीय समिति हो या राज्य की टीम किसी ने किसी प्रकार की कोई पारदर्शिता नहीं दिखाई। वक्फ बोर्ड के नियम इतने पेचीदे हैं कि कोई भी मामला न्यायालय में जा ही नहीं सकता, ट्रिब्यूनल का फैसला आखिरी होगा। अगर कोई न्यायालय जाना भी चाहे तो वह ट्रिब्यूनल की इजाजत के बाद ही जा सकेगा। इसके नियम कायदों की बात की जाए तो जिस वक्फ बोर्ड को गरीब मुसलमानों के विकास के लिए बनाया गया, उसे कुछ खास मुसलमानों ने अपनी जागीर बना ली। मामुली किराए की रकम अदा कर वक्फ बोर्ड पर कब्जा जमाए लोगों ने जमीन लेकर उसपर बड़े-बड़े निर्माण कराकर लाखों-करोड़ों की कमाई कर रहे हैं, लेकिन वक्फ बोर्ड एक बड़ा अस्पताल या स्कूल का संचालन भी राष्ट्रीय स्तर पर नहीं कर पा रहा।
उन्होंने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि खबरें तो ऐसी भी हैं कि मुसलमानों के सबसे बड़े हितैषी बनने वाले असदुद्दीन ओवैसी वक्फ बोर्ड की लगभग तीन हजार करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी पर कब्जा जमाये बैठे हैं। उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता आजम खान पर भी वक्फ बोर्ड की जमीन पर कॉलेज और बहुत सारा अवैध निर्माण करवाने के आरोप लगे हैं। कोई संस्था देश के कानून से भी ऊपर हो सकता है क्या?
मनीष ने कहा वक्फ बोर्ड के फैसले को डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाए गए कानून में चुनौती नहीं दी जा सकती। कोई भी सरकारी एजेंसियों को वक्फ बोर्ड की सम्पत्ति की जाँच का संवैधानिक अधिकार नहीं है। आज सारे देश मे जमीनों की सैटेलाइट सर्वे का काम हो रहा है। सरकार करोड़ों खर्च कर जमीन के कागजातों का डिजिटलीकरण करवा रही है। देश में सबसे ज्यादा हत्याएँ और मुकदमों का कारण सिर्फ जमीनी विवाद है। ऐसे में वक्फ बोर्ड के ऐसे अपारदर्शी नियम आने वाले समय मे रुकावटें पैदा करेंगी। अब जब केंद्र की सरकार ने विधेयक में संशोधन के माध्यम से वक्फ बोर्ड में संशोधन के माम से वक्फ बोर्ड को पारदर्शी बनाने के लिए 40 संशोधनों के माध्यम से संसद के समक्ष बिल लेकर आयी है तो सारा विपक्ष इसका विरोध कर रहा है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरण रीजूजू ने कहा कि "यह बिल पर पहले भी संशोधन हो चुके हैं। हम सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर संशोधन कर रहे हैं।"
मनीष पांडेय ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूँ कि, क्या जिला कलेक्टर को यह अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए कि वह अपने अधिकार क्षेत्र वाले जिले की सभी संस्थाओं की मॉनीटरिंग कर सके? उसके आय-व्यय, लेखा जोखा को देख सके? इस बात से किसी को क्या परेशानी हो सकती है! जिला कलेक्टर पर यह आरोप लगता रहा है कि वह सरकार के नुमाइंदे के रूप मे काम करते हैं। लेकिन क्या देश के सभी राज्यों में भाजपा की ही सरकार है या जब तक श्रृष्टि रहेगी भाजपा ही सत्ता में रहेगी क्या? यहां सवाल यह है कि जिन प्रदेशों में भाजपा की सरकारें नहीं हैं वहाँ के भी जिला कलेक्टर पर इन्हें अविश्वास क्यों है?
सच्चाई यह है कि पिछले 10 वर्षों में नरेंद मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र की सरकार ने देश के हर वर्ग की चिंता की है और संविधान संशोधन के माध्यम से चाहे वह एससी-एसटी ऐक्ट हो, तीन तलाक हो, 10% ईडब्ल्यूएस हो, 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम' हो या 1860 से ब्रिटिश हुकूमत को समर्पित आईपीसी-सीआरपीसी के आर्टिकल हों या आर्टिकल 370 हो देश को और मजबूत करने का प्रयास किया है। इसके फलस्वरूप पिछले 10 वर्षों में देश के हर वर्ग में एक ऊर्जा का संचार हुआ है। यही वजह है कि 10 वर्ष के मामूली अंतराल मे भारत जहां विश्व की 5 वीं आर्थिक शक्ति के रूप मे सामने आया है, वहीं विश्व की सबसे तेज गति से ग्रोथ करने वाली अर्थव्यवस्था भी बना है। आंतरिक सुरक्षा हो या सीमा सुरक्षा भारत आत्मनिर्भर बना है। नक्सलवाद हो या आतंकवाद सब की कमर तोड़ दी गई। पूर्वोत्तर राज्यों मे अलगाववादियों ने मुख्य धारा को अपनाना ही समय की माँग समझा। यह भी कड़वा सत्य है की मणिपुर में हालात अभी पूरी तरह नियंत्रित नहीं हुए हैं लेकिन सरकारी प्रयास से सफलताएं मिल रही है। तीन तलाक जैसे मुद्दों के हटने से देश की एक बड़ी आबादी की महिलाओं का सशक्तीकरण संभव हो पाया है। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के पूर्ण रूप से लागू हो जाने के बाद देश की आधी आवादी की ताकत पहले से कहीं ज्यादा देश के विकास मे लगेंगे। ऐसे में जब सरकार चाहती है कि वक्फ बोर्ड को कुछ खास लोगों के गिरफ्त से निकाल कर उसकी सम्पत्तियों के माध्यम से मुस्लिम समाज की महिलाओं, बच्चों के विकास के लिए अवसर खड़े किए जाएँ तो देश का विपक्ष आज वोट बैंक और तुष्टीकरण के चक्कर मे इसका विरोध कर रहा है जो कि सरासर गलत है।
मनीष ने आगे कहा कि ये वही लोग हैं जिन्होंने कोरिया संकट के समय देशवासियों को टीका लेने से मना किया था। ये वही लोग हैं जिन्होंने सेना की योग्यता पर सवाल खड़े किए और सबूत मांगने का काम किया। ये यही लोग हैं जिन्होंने अग्निवीर योजना पर युवाओं को भड़काकर ट्रेने फुकवायी और प्लेटफॉर्म, रेल्वे लाइन पर तोड़फोड़ करवाए। लेकिन अंततः सरकार की जीत हुई। देश के प्रधानमंत्री पर लगातार तीसरी बार देश की जनता ने अपना विश्वास जताया और उन्हें प्रधानमंत्री बनाया है। वक्फ बोर्ड 1995 संशोधन बिल भले जेपीसी के पास विचार हेतु गया हो लेकिन जब यह बिल बहुमत के आधार पर स्वीकृत होकर लागू होगा तब तीन तलाक की तरह मुसलमान महिलाओं, बच्चों एवं जरुरतमंदों के लिए मिल का पत्थर साबित होगा।
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