पीला गाढ़ा दूध के साथ केवल स्तनपान कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं बनगामा की मोनी कुमारी - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad - Contact for Advt

Post Top Ad - SR DENTAL, GIDHAUR

सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

पीला गाढ़ा दूध के साथ केवल स्तनपान कराने के लिए प्रतिबद्ध हैं बनगामा की मोनी कुमारी

जमुई (Jamui) : जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य की सुविधाओं में लगातार सुधार के प्रयास किये जा रहे हैं. हालाँकि इसमें परम्परा से चला आ रहा कुछ विकृत प्रचलन मातृत्व एवं शिशु स्वास्थ्य में बाधक सिद्ध होता जा रहा था. उनमें से शिशु जन्म के तत्काल बाद माँ का पीला गाढ़ा दूध जिसे स्थानीय भाषा में खिरसा भी कहा जाता है,को देने और छः माह तक केवल स्तनपान कराने में समस्या आ रही थी. परिणामस्वरुप गर्भवती- धातृ माताएं एवं शिशुओं की मृत्यु की वजह से जमुई जिला हमेशा से हाशिये पर रहा करता था, लेकिन जब से डिविज़नल मास्टर ट्रेनर (डीएमटी) सरिता मुर्मू और सुलेखा कुमारी द्वारा झाझा रेफेरल अस्पताल में कार्यरत पचास से अधिक एनम को फैसिलिटी के तहत खिरसा पान और छः माह तक केवल स्तनपान आदि मुद्दों पर प्रशिक्षण दिया जाने लगा तब से स्थितियों में धीरे धीरे सुधार देखने और सुनने को मिलने लगा है.

प्रशिक्षण और नियमित अनुश्रवण से मोनी कुमारी ने  शिशु जन्म के उपरांत पीला गाढा दूध भी पिलाया और लगातार छः माह तक स्तनपान कराने को लेकर दृढ़संकल्पित हैं.

डीएमटी ए-ग्रेड नर्स सरिता मुर्मू कहती हैं कि हमारे प्रशिक्षण और नियमित अनुश्रवण के परिणाम हैं कि  बनगामा गाँव खुरंडा पंचायत, झाझा प्रखंड की पहले बच्चे की  माँ मोनी कुमारी ने  शिशु जन्म के उपरांत पीला गाढा दूध भी पिलाया और लगातार छः माह तक स्तनपान कराने को लेकर दृढ़संकल्पित हैं. इससे शिशुओं में शुरुआती दौर में होने वाले कुपोषण और माता की मृत्यु  जैसे गंभीर मुद्दों पर भी सफलता मिलेगी. इसलिए ऐसे प्रशिक्षण से परम्परा से चली आ रही कुछ अस्वस्थ आदतों को बदलने में सहायता मिली है और आगे भी सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते रहेंगे.
सटीक ब्लड प्रेशर लेना, ऊंचाई के महत्व और जोखिम पूर्ण गर्भ की स्थितियों के पता लगाने में सहूलियत हुई.
सुलेखा कुमारी जो डीएमटी ए-ग्रेड नर्स हैं ने कहा कि  आउटरीच में सटीक ब्लड प्रेशर लेना, ऊंचाई के महत्व और जोखिम पूर्ण गर्भ की स्थितियों के पता लगाने में अक्सर चुक हो जाने का  खामिअजा लाभार्थियों और स्वास्थ्य विभाग को उठाना पड़ता था. जब से एएनम का प्रशिक्षण हुआ है और उनके द्वारा आंगनबाड़ी सेविकाओं और आशा वर्कर को हैण्ड होल्डिंग सहयोग के माध्यम से बताया गया तो परिस्थितियों में बदलाव आने लगे हैं. 
इस सम्बन्ध में पिपराडीह गाँव की आंगनवाड़ी सेविका और शीला देवी आशा ने बताया  कि आठ ग्राम हीमोग्लोबिन वाली गर्भवतियों को उचित खान-पान, प्रसव पूर्व निर्धारित जांच, आयरन फोलिक एसिड की दवा, एम्बुलेंस का नंबर और अन्य जरूरी सेवाओं और संस्थागत प्रसव की  बदौलत हमें  अपने नौ वर्षों के कार्यकाल में विषम  से अब सामान्य स्थितियों का साक्षी बनने का गौरव प्राप्त हुआ है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग और प्रशिक्षकों को इसका श्रेय देती हूँ.

ऐसे प्रशिक्षणों की महत्ता पर सिमुलतला अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी डॉ. अरुण कुमार सिंह आश्वस्त होते हुए बताते हैं कि फैसिलिटी और आउटरीच दोनों में व्यवहारिक परिवर्तन हुए हैं जो स्वास्थ्य क्षेत्र में अच्छे संकेत हैं.

Post Top Ad -