अदम्य साहस के बल पर सफलता का मुकाम बनाया है आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. राजेश कुमार सिंह ने

पटना [अनूप नारायण] :
वर्ष 2019 के सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेद चिकित्सक के सम्मान से सम्मानित चिकित्सक डॉ राजेश कुमार सिंह की कहानी बाधा पर विजय के समान है.बिहार के अत्यंत पिछड़े मधेपुरा जिला के आलमनगर प्रखंड के खुरहान गांव में विजय बहादुर सिंह के घर पुत्र रत्न के रूप में जन्मे डॉ राजेश कुमार सिंह आज ग्रामीण युवाओं के लिए आदर्श है
उन्होंने अपने अदम्य साहस कठिन परिश्रम के बल पर सफलता का मुकाम ही नही बनाया है बल्कि हजारों लाखों लोगों के लिए आशा की किरण के रूप में उभरे है दिल्ली एम्स से पढ़ाई कर डॉक्टर बने राजेश कुमार सिंह की कहानी बाधा पर विजय के समान है गरीबी भूख और संघर्ष के बीच उन्होंने कभी भी अपने लक्ष्य से ध्यान नहीं हटाया और अंततः इन्हें कामयाबी मिली.निदान क्लीनिक के माध्यम से उत्तर बिहार के 18 जिलों में लोगों को निरोग बना रहे डॉक्टर आरके सिंह.बिहार के आलमनगर से सदैव कनेक्ट रहे. राजेश कुमार सिंह ने नार्वे में टिश्यू कल्चर में शोध भी किया बाद में बिहार में आकर अपनी कर्मभूमि बनाई मधेपुरा के सिंघेश्वर में इन्होंने निदान आयुर्वेद की स्थापना की और निदान क्लीनिक के माध्यम से लोगों को असाध्य रोगों से मुक्ति दिलाने का बीड़ा उठाया.डॉक्टर आरके सिंह ने बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों को अपना कार्यक्षेत्र बनाया है . बिहार में पहली बार एकमात्र निदान आयुर्वेद के उपचार केंद्रों पर अनीशा जांच की सुविधा उपलब्ध हुई है जिसके माध्यम से शरीर के फंक्शनल मोटा बोलिक और हीमोडायनेमिक जांच आसानी से की जाती है डॉ सिंह ने बताया कि अनीशा जांच यंत्र द्वारा शरीर में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के हारमोंस की कमी तथा अधिकता का पता लगाया जाता है जैसे टेक्स्टन .स्वीडन के डॉक्टरों और वैज्ञानिकों द्वारा आविष्कार अल्फा नामक यंत्र की सबसे बड़ी विशेषता है कि शरीर के तापमान को बता देता है वेदा प्लस यंत्र फ्लॉवर्स बायो मैग्नेटिक ब्रेसलेट से भी के यहां इलाज किया जाता है .
अभी तक 10 हजार से ज्यादा मरीजों का ईलाज कर चुके है।वे बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों में सबसे ज्यादा चिकित्सीय सुविधा का आभाव है। मरीजों को सुविधा उपलब्ध कराना सरकार के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता इसी को ध्यान में रखकर निदान आयुर्वेद संस्थान के माध्यम से यह बिहार के पिछड़े जिलों को इंगित कर वहां अपना केंद्र स्थापित कर रहे है इनकी पुत्री डा गरिमा सिंह भी पिता के ही नक्शे कदम पर चल रही है. वह भी अब पढ़ाई पूरी कर ग्रामीण और पिछड़े इलाके में लोगों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता अभियान में शामिल हो गई है.

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