19 OCT 2019
31 मार्च 2019 तक की रिपोर्ट के अनुसार स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 220 बड़े उद्योगपतियों के कुल 76,000 करोड़ रूपयों का लोन माफ कर दिया है। इनमें से प्रत्येक उद्योगपति ने 100 करोड़ अथवा उससे ज्यादा का लोन ले रखा था। सरकार की सिफारिश एवं दबाव में बैंक द्वारा ये सारे लोन माफ कर दिए गए। सरकार एवं बैंक की शब्दावली में इस प्रकार की लोन-माफी के लिए 'राइट्स ऑफ' शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। ग्रामीण भाषा में इसे 'गदाल खाते में डाल देना' बोलते हैं।
इन 220 उद्योगपतियों में से 33 ऐसे लोनधारक उद्योगपति हैं जिनमें से प्रत्येक ने 500 करोड़ अथवा उससे ज्यादा का लोन ले रखा था जिसकी कुल रकम 37,700 करोड़ थी जो माफ कर दी गई।
इन सूचनाओं से समझा जा सकता है कि ये लोनधारक किसान अथवा मजदूर नहीं थे। इतनी बड़ी राशि में लोन लेने एवं पाने वाले निश्चित ही बड़े उद्योगपति थे। आपको बताये कि यह सूचना एक आरटीआई के जरिए प्राप्त हुई।
अगर उद्योगपतियों को 100 करोड़ एवं 500 करोड़ रूपयों के लोन दिलवा कर सरकार उसे माफ कर देगी, तब तो यह राशि उद्योगपतियों के लिए सरकार की सिफारिश पर बैंक द्वारा दिए गए एक गिफ्ट की तरह है। दूसरी तरफ बैंकों के इस नुकसान की भरपाई बैंक में पैसा जमा करने वाले साधारण ग्राहकों से पूरी की जाएगी।
महाराष्ट्र के पंजाब एवं महाराष्ट्र कॉपरेटिव बैंक (PMC Bank) का जो हाल हो रखा है, वह पूरा देश देख रहा है। अपना ही जमा किया गया पैसा नहीं मिल पाने के कारण सदमे से अब तक इस मामले में चार लोगों की जान भी जा चुकी है। अन्य बैंक उसी दिशा में बढ़ते हुए नजर आ रहे हैं। उसमें से भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जिसके भारत में सर्वाधिक ग्राहक हैं, उसने अगर ग्राहकों को अपने ही जमा किए गए पैसे निकालने देने से मना कर दिया तो स्थिति भयावह आ सकती है।