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सड़कें दिखा रही सरकार के योजनाओं को आइना, नाकाम हो रहे हैं प्रशासन

~ अक्षय कु. सिंह :
एक तरफ जहां मोदी सरकार सबका साथ सबका विकास और स्वच्छ भारत मिशन जैसी अवधारणा लिए केंद्र में अपना आधिपत्य जमाए है, वैसे में जनता का यह देखना पूर्णतः वाजिब हो जाता है कि क्या वाकई सबका साथ सबका विकास हो रहा है.? क्या सच में हमारा भारत स्वच्छ हो रहा है.? पिछले दिनों राजधानी पटना में हुई बारिश ने सरकार के स्वच्छ भारत मिशन को आईना दिखाने का काम किया है. पूरे भारत में नए मोटर वाहन अधिनियम लागू किए गए ताकि सड़क दुर्घटना पर नियंत्रण पाया जा सके. लेकिन क्या सिर्फ नए कानून बनाने से या भारी चलान वसूलने से दुर्घटनाएँ कम हो जायेगी.?
हम NH-333 की बात करें या किसी गांव को प्रखंड से जोड़ने वाली मुख्य सड़क की, दुर्दशा एक ही है,हर दो कदम पर गड्ढे. सड़क को लेकर जनप्रतिनिधि के किए सारे वादे झूठे साबित हो रहे हैं.
अगर हम सिर्फ जमुई की बात करें तो जिला परिवहन पदाधिकारी रवि कुमार के अनुसार वर्ष 2019 के आरंभ से लेकर जून माह तक कुल 19 लोग सड़क दुर्घटना का शिकार होकर मौत के मुँह में जा चूके हैं.
दूसरे रिपोर्ट के अनुसार केवल जून माह के सड़क दुर्घटना में 10 लोग अपनी जान गवां चुके हैं.
गिद्धौर स्थित दिग्विजय सिंह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी चिकित्सक रामस्वरूप चौधरी के अनुसार वर्ष 2019 के अप्रैल से लेकर सितंबर तक कुल 24 सड़क दुर्घटना का मामला अस्पताल तक पहुंचा है.
सड़क पर वाहनों के बढ़ते दवाब को कंट्रोल कर सड़क दुर्घटनाओं के रोकथाम के लिए पुलिस प्रशासन की न तो कोई प्रतिबद्धता दिखती है और न कोई कवायद. कुछ घटनाएँ तो वाहन पर नियंत्रण न होने के वजह से भी होते हैं लेकिन अच्छी सड़क न होने के कारण भी बहुत से वाहन अनियंत्रित हो जाते हैं.
जमुई के सड़को की स्थिति को प्रदर्शित करते कुछ तस्वीर :-