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आज मिलिए मिथिलांचल के समाजसेवी व फिल्म निर्माता रजनीकांत पाठक से


पटना | अनूप नारायण :
बिहार के बेगूसराय जिले के बखरी के रहने वाले रजनीकांत पाठक की पहचान मिथिलांचल में एक लोकप्रिय समाजसेवी के रूप में है .मैथिली फिल्म लव यू दुल्हन के निर्माता के तौर पर इन्होंने मैथिली भाषा के उत्थान के क्षेत्र में भी पदार्पण किया. हाल ही में इनके पिता समाजवादी आंदोलन के जनक दिनेश पाठक जी का निधन हो गया था बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इनके घर मातमपुर्सी में पहुंचे थे मुख्यमंत्री ने रजनीकांत जी और उनके भाइयों से कहा कि जब दिनेश पाठक जी पटना में भर्ती थे तो आप लोगों ने मुझे सूचना क्यों नहीं दिया. जिन लोगों के पिता ने मुख्यमंत्री के साथ प्रारंभिक दिनों में संघर्ष किया हो और कभी कुछ ना मागा हो उनके पुत्र पर भी उनके आदर्श जरूर कायम रहते हैं इस कहावत को सिद्ध किया है रजनीकांत पाठक जी ने.
रजनीकांत पाठक ने अप्रैल 1992 में मैट्रिक का एग्जाम देकर अभाव व गरीबी के कारण दिल्ली प्रस्थान किया।
1992 से 1995 तक फैक्टरी में हेल्पर का काम किया।
इंटर करने के बाद 1996 से दिल्ली के एक कम्पनी में क्लर्क बने।
1996 में ही दिल्ली विश्व विद्यालय में इवनिंग क्लास में ग्रेजुएट में नामांकन लिया।प्रथम वर्ष में फेल हुए। उसके बाद पढ़ाई छोड़कर सिर्फ काम पर फोकस किया।
1998 से वर्ष 2004 तक अपना व्यापार (प्रोडक्ट डीलर शिप) शुरू किया
पढ़ाई जारी की। (IGNOU से)
2003 में भारत सरकार के तत्कालीन श्रम मंत्री व दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ साहिब सिंह वर्मा के जीवनी पर सूचना संकलन किया जिसका विमोचन तत्कालीन उपराष्ट्रपति महामहिम भैरो सिंह शेखवात सिंह द्वारा दिल्ली के द्वारका में किया गया।
2005 में एकता शक्ति फाउंडेशन से जुड़े। इस संस्था में इन्हें लगातार 3 टर्म्स से उपाध्यक्ष पद पर एक बार मनोनयन और 2 बार चुना गया। यह संस्था वर्ष 2003 से दिल्ली के द्वारका, मटियाला में बिना सरकारी मदद के दो दिव्यांग बच्चो के लिये विद्यालय और महिलाओं को सशक्त करने के उद्देश्य से सिलाई कढ़ाई का प्रशिक्षण देती है।
वर्ष 2006 से बिहार सरकार के साथ मध्याह्न भोजन योजना के तहत केंद्रीयकृत रसोई का कंसेप्ट इनके संस्था द्वारा दिया गया।तत्कालीन शिक्षा सचिव स्वर्गीय मदन मोहन झा जी द्वारा पायलेट प्रोजेक्ट के तहत इनकी संस्था को  पटना के 190 विद्यालय और वैशाली के हाजीपुर प्रखण्ड में प्रयोग के तौर पर कार्य हेतु चयनित किया गया। इनकी संस्था ने डेढ़ वर्ष तक इनके नेतृत्व में सफलतापूर्वक कार्य किया तब जा कर  प्रमंडल स्तर पर गये उसके बाद नालंदा और बेगुसराय के शहरी क्षेत्रों में कार्य करने को कहा गया। पिछले 10 वर्षो से भी ज्यादा से मेरे नेतृत्व में हमारी संस्था द्वारा 2200 विद्यालयो में लगभग ढाई लाख बच्चो को अर्धस्वचालित केंद्रीयकृत रसोई के माध्यम से साप्ताहिक मेनू के अनुसार भोजन परोसा जा रहा है। लगभग 750 सहयोगी परोक्ष रूप से जिला वैशाली, नालंदा, गया और बेगुसराय में काम कर रहे हैं।
इसके अलावा दिल्ली में पूर्वांचल समाज के सांस्कृतिक विकास व लोकआस्था का महापर्व को वृहद स्तर पर लगातार 6 वर्षो तक आयोजन पूर्वांचल उत्कृष्ट महासंघ के बैनर के तहत करते आ रहे हैं। इस संघ में कोषाध्यक्ष पद पर थे।
दिल्ली के अनाधिकृत कालोनी को नियमित करने के उद्देश्य से माननीय नानावटी कमिसन के समक्ष कालोनी की समस्या को। सूचीबद्ध करवाया।
वर्ष 2016 में गंगा में आये बाढ़ के कारण 175 सामाजिक कार्यकर्ता  के साथ वोलेंट्री सहयोग करते हुए जिला प्रशासन के मार्गदर्शन में हाजीपुर के तेहतिया दियर गांधी सेतु के किनारे 13 दिन तक 4500 से 5000 बाढ़ पीड़ित को संस्था के संसाधन का प्रयोग करते हुए सुबह और शाम का भोजन तैयार कर उसे उनके बीच इन्होनें बंटवाया। यह 13 दिन तक चला।
वर्ष 2016 में ही सामाजिक सहयोग से बेगुसराय के बछवाड़ा प्रखण्ड में 1000 लोगो के बीच बाढ़ राहत सामग्री का वितरण।
वर्ष 2017 में उत्तर बिहार के दरभंगा,मधुबनी और अररिया में सैकड़ो दाता के सहयोग से 6200  राहत सामग्री का वितरण करवा चर्चा में आए।
सुनील पाठक इनके बड़े भाई हैं जो पुणे में डेन्फोस कम्पनी में अकॉउंटन्स मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं।
बिष्णु पाठक जुड़वा भाई जो दिल्ली में अपना व्यवसाय करते हैं।
बहन उषा झा बेगुसराय के इटवा में शिक्षिका है।