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Doctor's Day : मिलिए, जमुई के दो डॉक्टरों से जिन्होंने चिकित्सा को दिया सकारात्मक रूप

>> एक चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है डॉक्टर होना...



न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा 】 :-

व्यवसायिकता के बढ़ते ग्राफ में एक ओर जहां डॉक्टरों की प्रतिष्ठा धूमिल होती है तो वहीं दूसरी ओर कुछ ऐसे डॉक्टर भी है जिनमें अभी भी डॉक्टर पेशे के रूप में निःस्वार्थ सेवाभाव जिंदा है। व्यवसायिकता की अंधी दौड़ में चिकित्सा और चिकित्सक दोनों शामिल हो चुके हैं। जमुई जिले भर में अभी भी कुछ ऐसे। चिकित्सक हैं जो सीमित संसाधनों के बाद भी अपने कर्तव्य को ईमानदारी के साथ पूरा कर रहे हैं। 


जमुई जिले के सोनो बाजार स्थित  परवाज़ स्पेशलिटी हॉस्पिटल सेंटर प्राइवेट लिमिटेड के संचालक डॉ. परवाज़ जमुई जिले में एक ऐसे डॉ. के रूप में उभर रहे हैं जिन्होंने चिकित्सा को समाजसेवा से जोड़ दिया है। डॉ. परवाज़ का मनना है कि चिकित्सक होना सिर्फ एक काम नहीं है, बल्कि चुनौतीपूर्ण वचनबद्धता है। चिकित्सीय कार्य को आगे रखते हुए डॉ. परवाज़ ने समाजहित में भी अपना बहुमूल्य योगदान दिया है।


जमुई जिले के गिद्धौर निवासी डॉ. एन. डी. मिश्रा का भी नाम समाजसेवा के क्षेत्र में शीर्ष पर रहा है । झारखंड के सुविख्यात नेत्र चिकित्सक डॉ. एन. डी. मिश्र देवघर में अपना योगदान दे रहे हैं। अपने संस्था डब्ल्यू. ओ. आर. सी. के बैनर तले चिकित्सा के  साथ साथ जरूरतमंदों के बीच कंबल, वस्त्र, छात्र-छात्राओं के लिए प्रोत्साहन राशि आदि सामाजिक उत्थान के कई कार्यों का नेतृत्व कर बिहार-झारखंड में डॉक्टर की एक अलग ही सकारत्मक छवि को कायम किया है।

--[क्यों मनाते हैं डॉक्टर्स डे]--

महान भारतीय चिकित्सक डॉ. बिधानचंद्र राय का जन्म एक जुलाई को हुआ था। इन्होंने भारतीय जनमानस के लिए प्रेम और सामाजिक उत्थान की भावना डॉ. राय को राजनीति में ले आई। स्वतंत्रता सेनानी के रूप में महात्मा गाँधी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल होने के कारण इनकी ख्याति बढ़ी। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य भी बने और बाद में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पद संभाला। फिर डॉ. राय को भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया था। तब से उनके जन्म दिवस को डॉक्टर्स डे के रूप में मनाया जाने लगा।

-[अनैतिक घटनाओं से धूमिल हो रही है डॉक्टरों की प्रतिष्ठा]-

 डॉक्टर्स डे स्वयं डॉक्टरों के लिए भी एक महत्वपूर्ण दिन है, क्योंकि यह उन्हें अपने चिकित्सकीय प्रैक्टिस को पुनर्जीवित करने का अवसर देता है। सारे डॉक्टर जब अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत करते हैं तो उनके मन में नैतिकता और जरूरतमंदों की मदद का जज्बा होता है। प्रतिस्पर्धा और पैसों की चकाचौंध दुनिया में कुछ डॉक्टर अपने कर्तव्यों और विचारों से पथभ्रमित होकर अनैतिकता का चोला पहन लेते हैं।
वर्तमान समय में यदि  चिकित्सा को पैसा कमाने का पेशा न बनाकर मानवीय सेवा का पेशा बनाया जाय, तब डॉक्टरों की धूमिल होती जा रही छवि पुनर्स्थापित हो सकेगी और तभी डॉक्टर्स डे मनाने का उद्देश्य भी सार्थक हो सकेगा।