【gidhaur.com| रूदल पंडित】Edited by -Abhishek:-
सरकारी योजनाओं में जब अनियमितता की सेंध लगती है तो जनता को केवल निराशा हाथ लगती है।
ताजा उदाहरण बरहट प्रखंड क्षेत्र के केवाल गांव की है, जहां महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना के तहत योजना संख्या 42/2018-19 में अनियमितता का मामला प्रकाश में आया है।
ताजा उदाहरण बरहट प्रखंड क्षेत्र के केवाल गांव की है, जहां महात्मा गाँधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना के तहत योजना संख्या 42/2018-19 में अनियमितता का मामला प्रकाश में आया है।
इस योजना के अन्तर्गत रविदास टोला प्राथमिक विद्यालय से बबुरा आहार तक पक्का नाला का निर्माण करना था, पर यह पक्का नाला का निर्माण केवाल के पीपल पेड़ से कुछ ही दूरी तक हो पाया है।
इस योजना के शुरुआत में ग्रामीणों को लगा कि यह पक्के नाले के बन जाने से खेती का पटवन करने में काफी मदद मिलेगी। साथ ही किसान भाई अपने फसल को उपजाऊ बनाने में भी इस नाले की सहायता ले सकते थे अनियमितता का आलम ये हुआ कि किसानों का सपना अधर में ही लटका रह गया।
बता दें कि, केवाल और गुगुलडीह दोनों गाँव के किसान इस नाले के सहारे ही पटवन करते हैं। परंतु कुछ दिन काम कराने के बाद काम बीच में ही बंद पड़ा है। इस संदर्भ में ग्रामीणों ने अपने नाम की गोपनीयता बनाये रखते हुए बताया कि एजेंसी पंचायत समिति भी इस अनियमितता का आंकलन करने नहीं आये। इस योजना के लिए 9,45,960/- रुपये की राशि प्राकलित की गई थी। पर इनलोगों के मिलीभगत से यह योजना अपने गंतव्य की ओर से भटक गई है।
gidhaur.com के माध्यम से ग्रामीणों ने उच्च वर्ग के पदाधिकारी से इस मामले में जांच की मांग की है। ताकि कार्य के आंकलन को देखकर इस योजना पर से अनियमितता की चादर हटाकर काम चालू कराया जा सके।