मृत्युंजय कुमार सिंह का जन्म आरा के खरनी कला गांव में एक किसान परिवार में हुआ उनके पिता श्री रामाधार सिंह जी है उनकी माता स्वर्गीय विंध्यवासिनी देवी थी जिनका स्वर्गवास इन के बचपन में ही हो गया था इनकी शिक्षा दीक्षा आरा में ही हुई .उन्होंने जैन कॉलेज आरा से इतिहास में एम.ए किया तत्पश्चात 1994 में पुलिस की नौकरी में आए .1995 में श्रीमती आभा रानी के साथ परिणय सूत्र में बंधे .कहते हैं कि हर सफल व्यक्ति के पीछे किसी स्त्री का हाथ होता है.
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विवाह के बाद दोनों एक दूसरे के साथ कंधे से कंधा मिलाकर साथ चलते रहे और नित्य नई ऊंचाइयों को छूते रहे. उनकी पहली पोस्टिंग बिहार के नवादा जिले में हुई जहां इन्होंने तन मन से जनसेवा की और निरंतर आगे बढ़ते हुए समाज को अपने साथ लेकर चलते रहे. नौकरी के दौरान पुलिस वालों को होने वाले कष्टों को देखकर इन का मन दुखी हो जाता था. इतनी कठोर मेहनत के बाद भी ना कोई सुविधा नहीं खाना-पीना हराम, बस काम ही काम.
जब सब लोग अपने परिवार वालों के साथ होली, दीवाली, दशहरा मनाते है तब पुलिस वाले समाज सेवा में लगे रहते है. इन सबके बावजूद इन को सुनने वाला कोई नहीं होता था। तभी एक दिन उनके मन में आया कि क्या इन लोगों की आवाज बनें और अपने सपनों को उन्होंने 2011 में बिहार पुलिस एसोसिएशन के इलेक्शन को जीतकर अमली जामा पहनाया. अपने कुशल नेतृत्व में पुलिस वालों के साथ ही साथ आम जनता का भी मन जीत लिया.
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दूसरी बार 10 जून 2015 को बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर भारी मतों से विजयी हुए. पुलिस कर्मियों की कई लाभकारी उद्देश्यों के प्रति भी उन्होंने सफलता हासिल की .इनके प्रयास से 13 माह का वेतन बिहार पुलिस एसोसिएशन के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है. वे कहते है कि बिहार पुलिस काम के बोझ से दबी हुई हैं.
हर जगह पुलिस वाले को जेम्स बांड बनाकर भेज दिया जाता है. जबकि यह समस्या से ग्रस्त हैं. ऐसे में आम समस्या का समाधान हो तो कौन करेगा या कोई नहीं देखता. आज बिहार के कई चर्चित कांडों की जांच उद्भेदन अच्छे से पुलिस ने की है और वर्तमान में कर रहे है.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhK6yyujK7Zsel8_n8wEIHG1fOB73piFU4Umf9LAMQoumVYkhZuGOkgi22H1prQK-kDVIeQqC_R9B3UdOryE1zbffwQhYheqBDrfhlccxCuu-Bhep0r1FZz8-ynm3URP5IK3qLhrOqfNgU/s640/IMG-20180307-WA0017.jpg)
आम जनमानस को आज भी पुलिसकर्मियों पर काफी भरोसा है. कई बड़े कुख्यात अपराधी आज जेल की सलाखों के अंदर है.कई को सजा भी हो चुकी है. देश के सबसे अच्छी पुलिस बिहार की है. आज बिहार में सुशासन की बात होती है बेहतर राज की बात होती है.यह सब बेहतर पुलिसिंग के कारण ही.
बिहार पुलिस तूफान हो धूप हो या कराके की ठंड हो । विषम परिस्थिति में रहते हैं बिहार पुलिस के जवान. बलिदान की पीछे नहीं हटते हमें गर्व है बिहार पुलिस पर यह कहना है बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह का. श्री सिंह कहते हैं कि हमें गर्व है कि हम बिहार पुलिस के एक सच्चे सिपाही और जनता के सच्चे सेवक हैं.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgBek8DaQE7FaUTb8q7CMOHxo5SvrBJ0ooLGdELaS253GdFj1hdm8RSe2ea3qO-Bh4Itn-uP_xQJN8nXFBXR1OHtkHOSCOy9y5JOdXUM7mRH3sO4lSgNUOoR0pV3q-zFGcSxUIOg5WmFHM/s640/IMG-20180307-WA0018.jpg)
आज पुलिस कर्मीयों के अपने परिवारिक समस्या है. इनके बच्चों की पढ़ाई हो या बुढ़े मां-बाप की सेवा हो रिश्तेदार मित्रों या परिवारिक शादी में शामिल नहीं हो पाते. अपने बच्चे के शादी के लिए भी छुट्टी के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. जिससे पुलिसकर्मी मानसिक तनाव में आ जाते हैं.
पुलिस भी आम आदमी की तरह मनुष्य है और इसी समाज से आते हैं. मूलभूत सुविधाओ जैसे रोटी, कपड़ा और मकान पुलिसकर्मियों के पास अभाव में पुलिस की समस्याओं के समाधान के लिए काफी प्रयास की गई तथा समाधान हुआ है.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEqYpG-RoJ2OWTX_TMfxLrLJOuY-eisqzr2UvmgW7uagllerppjCt_vj4f4r6wH1A5mufGsln5qx2LNqMQQHOrmHM0Hfk0ugSmDgVGaV4NDsguwnA3GH8AYp6lA_AHUtAnJVdi-Of-dZs/s640/IMG-20180307-WA0021.jpg)
इसके लिए सरकार प्रयासरत है. पुलिस कर्मियों में भी काफी बदलाव की जरूरत है. आम जनता की बातों को अच्छे से सुने और उनका समाधान करें। राजनेता का परिवार को व आम जनता को एक नजर से देखें और उसका कार्य करें. जिससे आम जनता का भरोसा बढ़ेगा.
भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक मृत्युंजय कुमार सिंह पांच भाइयों के भरे पूरे परिवार में सबसे दुलरुआ थे. वह कहते हैं कि बचपन में मां को खो देने का दर्द ने उनके जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. सामाजिक दायित्वों के लिए सदैव तत्पर रहने वाले मृत्युंजय अपने पांच भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं.
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhIyENZ5i2_6L-8_l0cVd2TQa0vLpQiFRlkeUL2gX2jzJ5ctge9dMfWK9SByRbUUL_85vQ0LJ_03xuuV6ymOIAF3hjx2Y7wfp1vxScnmFv2VsHguA_PxPa-xM7hgbcKDkYGxT1tjEmrmT0/s640/IMG-20180307-WA0013.jpg)
वह कहते हैं कि मैंने कभी भी भीड़ का हिस्सा बनने की चाहत नहीं रखी. सकारात्मक सोच के साथ एक अलग पहचान बनाई. क्षत्रिय को वह जाति नही एक संस्कार मानते हैं. उनका कहना है कि क्षत्रिय संस्कार है, विचार है, धर्म है, कर्म है व कर्तव्य है. जन्म और कर्म से क्षत्रिय है मृत्युंजय .खाली समय में किताब पढ़ने के शौकीन है. चिंतन, पठन-पाठन सामाजिक कार्यों में इन्हे सुकून मिलता है.
छात्र जीवन से ही यह देश-विदेश की नीति सामाजिक बदलाव के प्रति जागरुक रहे है .वे कहते है पुलिस से समाज को ढेर सारी अपेक्षाएं है उसी प्रकार पुलिस को भी समाज से अपेक्षा रहती है. अगर आम आदमी ससमय सूचना सत्य निष्ठा के साथ पुलिस को उपलब्ध कराएं तो किसी भी घटना का उद्भेदन यथाशीघ्र किया जा सकता है .
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjYO_rwZ7Zil2X75iWvGSOn5EyZ1hnmKzZ0CscibqisONGiYUgZTIDj0BvSK91XVBZm6I1glKMPTf9-oBxT453nhlhf2-yHQk6dUD_Q2u_-CJUtCAY03KgXfxgin8qaZA6XGqr7mO28mvY/s640/IMG-20180307-WA0022.jpg)
पटना में प्रतिवर्ष उनके द्वारा मनाए जाने वाले महाराणा प्रताप जयंती में सभी जाति के कर्मठ लोगों को सम्मानित किया जाता है. यह एक परंपरा को जीवित रखने का प्रयास है. जिसमें जाति-पाति धर्म संप्रदाय से ऊपर उठकर समतामूलक समाज की स्थापना करने की ललक हैं.
उनका कहना है व्यक्ति गलत हो सकता है पर कोई जाति या समाज गलत नहीं हो सकता. वर्ष 2007 से 2010 तक मृत्युंजय कुमार सिंह एस टी एफ मे रहे इस दौरान कई बड़े नक्सलियों के खिलाफ अभियान में भाग लिया. रिकॉर्ड 14 एनकाउंटर इन के खाते में दर्ज है.
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वर्ष 1995 में इन्होंने आदर्श विवाह कर समाज को एक बेहतर संदेश दिया था .नीतीश कुमार के दहेज विरोधी और शराबबंदी अभियान के बहुत पहले ही लगभग 6 वर्ष पहले इन्होंने विद्यापति भवन में आयोजित महाराणा प्रताप जयंती में ही अपने समाज के लोगों से यह संकल्प दिलवाया था कि दहेज समाज के लिए कैंसर. हम किसी व्यक्ति के साथ अगर संबंध जोड़ते हैं तो दहेज एक ऐसा रोग है जिस से उस संबंधी व्यक्ति की कमर टूट जाती है. शिक्षा के महत्व पर उनका कहना है कि ज्ञान शाश्वत है.
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क्षत्रिय महासभा बिहार के मुख्य संरक्षक और राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य मृत्युंजय कुमार सिंह को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है . आज के परिपेक्ष में उनका कहना है कि साधन के प्रयास से पुलिस का स्वरूप बदला है पहले से सुविधाएं बेहतर हुई है.
इन्हे बिहारी होने का गर्व है वह कहते हैं कि देश के इतिहास से बिहार के इतिहास को अलग नहीं किया जा सकता. ऋषि, मुनियों, मनीषियों, विद्वानों, भगवान महावीर, गौतम बुद्ध, आर्यभट्ट, चाणक्य, जनक नंदिनी सीता, गुरु गोविंद सिंह, डॉ राजेंद्र प्रसाद, रामधारी सिंह दिनकर, बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे इतिहास पुरुषों की जननी रही है बिहार की धरती. देश में कई क्रांतियों का सूत्रपात बिहार के इस पवित्र धरती से हुआ है. आज पूरे देश ही नहीं विदेशों में भी बिहारी प्रतिभा का डंका बज रहा है.पटना मे अपने अथक प्रयास से इन्होने क्षत्रिय भवन की स्थापना करवायी है.
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जब सब लोग अपने परिवार वालों के साथ होली, दीवाली, दशहरा मनाते है तब पुलिस वाले समाज सेवा में लगे रहते है. इन सबके बावजूद इन को सुनने वाला कोई नहीं होता था। तभी एक दिन उनके मन में आया कि क्या इन लोगों की आवाज बनें और अपने सपनों को उन्होंने 2011 में बिहार पुलिस एसोसिएशन के इलेक्शन को जीतकर अमली जामा पहनाया. अपने कुशल नेतृत्व में पुलिस वालों के साथ ही साथ आम जनता का भी मन जीत लिया.
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दूसरी बार 10 जून 2015 को बिहार पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष पद पर भारी मतों से विजयी हुए. पुलिस कर्मियों की कई लाभकारी उद्देश्यों के प्रति भी उन्होंने सफलता हासिल की .इनके प्रयास से 13 माह का वेतन बिहार पुलिस एसोसिएशन के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित है. वे कहते है कि बिहार पुलिस काम के बोझ से दबी हुई हैं.
हर जगह पुलिस वाले को जेम्स बांड बनाकर भेज दिया जाता है. जबकि यह समस्या से ग्रस्त हैं. ऐसे में आम समस्या का समाधान हो तो कौन करेगा या कोई नहीं देखता. आज बिहार के कई चर्चित कांडों की जांच उद्भेदन अच्छे से पुलिस ने की है और वर्तमान में कर रहे है.
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बिहार पुलिस तूफान हो धूप हो या कराके की ठंड हो । विषम परिस्थिति में रहते हैं बिहार पुलिस के जवान. बलिदान की पीछे नहीं हटते हमें गर्व है बिहार पुलिस पर यह कहना है बिहार पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह का. श्री सिंह कहते हैं कि हमें गर्व है कि हम बिहार पुलिस के एक सच्चे सिपाही और जनता के सच्चे सेवक हैं.
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पुलिस भी आम आदमी की तरह मनुष्य है और इसी समाज से आते हैं. मूलभूत सुविधाओ जैसे रोटी, कपड़ा और मकान पुलिसकर्मियों के पास अभाव में पुलिस की समस्याओं के समाधान के लिए काफी प्रयास की गई तथा समाधान हुआ है.
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भारतीय संस्कृति के प्रबल समर्थक मृत्युंजय कुमार सिंह पांच भाइयों के भरे पूरे परिवार में सबसे दुलरुआ थे. वह कहते हैं कि बचपन में मां को खो देने का दर्द ने उनके जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी. सामाजिक दायित्वों के लिए सदैव तत्पर रहने वाले मृत्युंजय अपने पांच भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं.
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छात्र जीवन से ही यह देश-विदेश की नीति सामाजिक बदलाव के प्रति जागरुक रहे है .वे कहते है पुलिस से समाज को ढेर सारी अपेक्षाएं है उसी प्रकार पुलिस को भी समाज से अपेक्षा रहती है. अगर आम आदमी ससमय सूचना सत्य निष्ठा के साथ पुलिस को उपलब्ध कराएं तो किसी भी घटना का उद्भेदन यथाशीघ्र किया जा सकता है .
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उनका कहना है व्यक्ति गलत हो सकता है पर कोई जाति या समाज गलत नहीं हो सकता. वर्ष 2007 से 2010 तक मृत्युंजय कुमार सिंह एस टी एफ मे रहे इस दौरान कई बड़े नक्सलियों के खिलाफ अभियान में भाग लिया. रिकॉर्ड 14 एनकाउंटर इन के खाते में दर्ज है.
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क्षत्रिय महासभा बिहार के मुख्य संरक्षक और राष्ट्रीय क्षत्रिय महासभा के राष्ट्रीय कमेटी के सदस्य मृत्युंजय कुमार सिंह को राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित किया गया है . आज के परिपेक्ष में उनका कहना है कि साधन के प्रयास से पुलिस का स्वरूप बदला है पहले से सुविधाएं बेहतर हुई है.
इन्हे बिहारी होने का गर्व है वह कहते हैं कि देश के इतिहास से बिहार के इतिहास को अलग नहीं किया जा सकता. ऋषि, मुनियों, मनीषियों, विद्वानों, भगवान महावीर, गौतम बुद्ध, आर्यभट्ट, चाणक्य, जनक नंदिनी सीता, गुरु गोविंद सिंह, डॉ राजेंद्र प्रसाद, रामधारी सिंह दिनकर, बाबू वीर कुंवर सिंह जैसे इतिहास पुरुषों की जननी रही है बिहार की धरती. देश में कई क्रांतियों का सूत्रपात बिहार के इस पवित्र धरती से हुआ है. आज पूरे देश ही नहीं विदेशों में भी बिहारी प्रतिभा का डंका बज रहा है.पटना मे अपने अथक प्रयास से इन्होने क्षत्रिय भवन की स्थापना करवायी है.
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