पटना (अनूप नारायण) :
राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा संघर्ष समिति ने आज पटना के इतिहासिक गांधी मैदान में राष्ट्रीय समान अधिकार महारैली के जरिये पुनर्जारण क्रांति का आगाज किया। इस मौके पर पुनर्जारण क्रांति की पुस्तिका का लोकापर्ण भी राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा संघर्ष समिति के संयोजक ई. रविंद्र कुमार सिंह ने किया। इसके बाद ई. रविंद्र कुमार सिंह ने विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि समानता के अधिकार के लिए ऐसी रैली आजाद भारतवर्ष में आज तक कभी नहीं हुई। इस रैली का मूल उद्देश्य संपूर्ण भारतवर्ष को एक सूत्र में बांधना है।
उन्होंने कहा कि यह लड़ाई संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार राइट टू इक्वालिटी की है, जिसको हम पूरी तरह से देश में लागू करने की मांग करते हैं।
आज इस रैली में आये लोगों से हम कहना चाहते हैं कि जिस परिकल्पना के तहत यह अधिकार हमें संविधान देता है, उसको उसी के अनुसार लागू करवाने के लिए हम संकल्प लें। हमें इसी दिशा में जात – पात, धर्म – संप्रदाय से उपर उठकर भारत और बिहार के निर्माण में लगना होगा। साथ ही हम देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और विभिन्न राजनीतिक दलों से भी अपील करते हैं कि वे जात- पात और धार्मिक तुष्टिकरण की राजनीति बंद करे और संविधान में दिए गए मौलिक अधिकार के तहत समानता का अधिकार, शिक्षा का अधिकार, समान नागरिकता, समान कानून के अधिकार को लागू करें।
रविंद्र सिंह ने मौजूदा दौर में देश में सवर्णों के खिलाफ हो रही नफरत की राजनीति पर भी जमकर बरसे और कहा कि सवर्ण समाज ने हमेशा समाज को साथ लेकर चलने का काम किया है। भारत यूनियन ऑफ स्टेट यानी 562 रियातों का एक संघ है, जिसने लोकतंत्र की स्थापना और न्यायप्रिय शासन प्रणाली के अपना सर्वस्व त्याग किया। वे राजा को रंक और शासक से शोषित हो गए। बाबा साहब डॉ भीम राव अंबेदकर उच्च विचारों वाले महान व्यक्ति थे। उन्होंने वंचित समाज के अपने लोगों को उपर उठाने के लिए सांसद और विधायक बनाने की बात कही, ताकि समाजिक उत्थान हो सके। संविधान सभा के ड्राफटिंग चेयरमैन रहते उन्होंने 10 सालों के लिए आरक्षण की बात की। लेकिन वो आरक्षण भी सवर्ण की वजह से ही मिली। क्योंकि तब संविधान सभा के चेयरमैन डॉ राजेंद्र प्रसाद थे, जो एक सवर्ण थे।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं, देश के पिछड़े तबके के लोगों को दूसरा आरक्षण भी सवर्णों ने ही दिया, जब पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह ने मंडल कमीशन दिया। उन्होंने कहा कि रामायण की रचना दलित समाज से आने वाले महर्षि वाल्मिकी ने की। महाभारत की रचना भी दलित समाज से आने वाले महर्षि वेद व्यास ने की। उन्होंने अपने ग्रंथ में राम, अर्जुन, युदिष्ठिर आदि का चित्रण किया और हमने उसे अपना कर उसकी पूजा की। फिर भी कुछ लोग हमें दलित विरोधी, मनुवादी और जेनउधारी कहते हैं। जबकि सच यह है कि हम सामाजिक लोग है। हमेशा समाज के लिए हमने त्याग किया है। आज लोगों को समझना होगा कि सवर्ण समाज कोई जाति नहीं, अपितु कर्म है। सवर्ण पूरे समाज को क्षत्रिय और न्याय देने का काम करता है। यही वजह है कि आजादी के 72 साल बाद भी सामाजिक न्याय के नाम पर कुछ लोगों द्वारा समाज को बांटा और लूटा जा रहा है। और एक साजिश के तहत सवर्णों के खिलाफ आरक्षण की पृष्ठभूमि भी तैयार की गई है।
ई. रविंद्र कुमार सिंह ने रैली के दौरान आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत की, साथ ही केंद्र सरकार द्वारा 10 प्रतिशत आरक्षण का स्वागत किया। लेकिन उन्होंने साफ तौर पर कहा कि देश में मौजूदा आरक्षण के ढा़ंचे के खिलाफ है। लेकिन जिन लोगों ने संविधान में आर्थिक आधार पर आरक्षण की पहल की, उन्हें बधाई भी दी। श्री सिंह ने कहा कि किसी भी प्रकार के आरक्षण का मतलब होता है कमजोर तबकों को अतिरिक्त अवसर देना। इसके दो पहलू होते हैं कट ऑफ और आयु सीमा में छूट। लेकिन केंद्र की सत्ता में बैठी पार्टी को तीन राज्यों में चुनाव हारने के बाद जब लगा कि अब सवर्ण उसको सबक सिखाने की ठान चुके हैं तो हमे 10% आरक्षण देने का फैसला लिया। सवर्ण वर्ग के कुछ लोग इससे खुश भी हुए औऱ सोचने लगे कि चलो अब हमें भी आरक्षण का लाभ मिलेगा। बहुत से गरीब छात्र ये मान के चल रहे थे कि उन्हें कट ऑफ में भले ही कोई फायदा न हो कम से कम 3 साल आयु सीमा में छूट तो मिल ही जाएगी, क्योंकि कई नोकरीयों जैसे police constable, SSC, बैंकिंग से लेकर IAS तक सभी नौकरियों में सवर्ण छात्रों को उम्मीद थी कि अब हर नोकरी में 3 साल ज्यादा मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि कमजोर वर्गों के लिए आरक्षण में आयु सीमा का प्रावधान किया जाता है। आयु सीमा छूट भारत में दिये जाने वाले सभी प्रकार के आरक्षण का बुनियादी हिस्सा है। 10% आरक्षण में आयु सीमा और attempt, मैं छूट को शामिल न करना न केवल सैद्धान्तिक रूप से त्रुटि पूर्ण है बल्कि उन गरीब छात्रों की उम्मीदों पर भी कुठाराघात है। जब सभी प्रकार के आरक्षण में आयु सीमा छूट का प्रावधान है तो सवर्ण को आयु सीमा में छूट क्यों नही। इसी तर्क को मानते हुए गुजरात सरकार ने EWS अर्थात सवर्णो को मिले 10% आरक्षण में अभी 22 फरवरी को 5 साल की छूट दी हैं तो केंद्र सरकार की नोकरियों में भी OBC के बराबर आयु सीमा छूट क्यो नही दी जा सकती हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा संघर्ष समिति का आरक्षण पर स्पष्ट मानना है कि आरक्षण का आधार आर्थिक हो और वर्तमान समय में जिन जातियों को आरक्षण मिला है। उनमें जो आरक्षण का लाभ पा चुके हैं, अब वे आरक्षण को अपने समाज के नीचले तबके के बीच ट्रांसफर करें। वरना संविधान में जिस सोच के साथ आरक्षण दिया गया था, उसका तो आज मजाक बना हुआ है। आजादी के 72 सालों बाद भी दलित – दमित की दशा नहीं सुधरी है, क्योंकि आरक्षण का फायदा उन्हें मिल नहीं पाया और इसकी मलाई कुछ मुठ्ठी भर लोग खा रहे हैं। इसलिए हम कहना चाहते हैं कि आरक्षण पा चुके लोग अपने ही समाज के लिए गैस सब्सिडी की तरह आरक्षण का त्याग करें और सरकार से अपील है कि वे आरक्षण की समीक्षा कर आर्थिक आधार पर लागू करायें। आरक्षण का आधार आर्थिक गरीबी हो, न कि जाति, धर्म और संप्रदाय।
रविंद्र सिंह ने एससी एसटी कानून को काला कानून बताते हुए इसे खत्म करने की मांग की। श्री सिंह ने कहा कि सामाजिक न्याय के लिए विश्वनाथ प्रताप सिंह ने एसएसी एसटी कानून दिया था, न कि कांशीराम, राम विलास पासवान और मायावती ने। लेकिन जब इस कानून का दुपयोग होने लगा, तब माननीय सर्वोच्च नयायालय ने इस कानून का अवलोकन कर न्याय प्रिय आदेश देने का काम किया, जिसके आदेश का उल्लंघन करते हुए सदन में अध्यादेश लाया गया। यह गलत है। इसलिए राष्ट्रीय समान अधिकार यात्रा कर राज्य भर में जन जागृति लाकर पुर्नाजगरण क्रांति की नींव रख दी गई है, जो संविधान में मिले समानता के अधिकार को लागू करा कर रहेगी। साथ उन्होंने ये भी कहा कि हमारी लड़ाई सभी वर्गों की है। इसलिए हम देश के तमाम नेताओं और उनके दलों को बता देने चाहते हैं कि अगर वे हमारी इन मांगों को अपने मेनिफेस्टो में शामिल नहीं करेगी, तो इस बार चुनावों में जनता उन्हें वोट नहीं करेगी। और जनता लोकसभा चुनाव में स्थानीय पढ़े – लिखे, उच्च विचार और सामाजिक व्यक्तित्व वाले लोग को चुनाव में अपना प्रतिनिधि बनाकर वोट करेगी। यह प्रतिनिधि जनता के बीच से जनता के द्वारा और जनता के लिए होगा, जो वास्तव में लोकतंत्र की वास्तविक परिभाषा है।
राष्ट्रीय समान अधिकार महारैली में रैली के संयोजक ई. रविंद्र कुमार सिंह के अलावा रणनीतिकार राजीव रंजन, सह संयोजक सुजीत कुमार और सुनील पांडेये ने भी प्रमुखता से अपनी बात रखी। रैली की अध्यक्षता युवराज चंद्र विजय सिंह ने की। स्वागत भाषण संस्कृत विश्व विद्यालय, वाराणसी के सेवानिवृत्त प्रो राजीव रंजन सिंह, मंच संचालन किसलय किशोर ने की। इस दौरान एवीकेएम के युवा अध्यक्ष रोहित सिंह रैकवार, एवीकेएम के विशाल सिंह, आधुनिक कृषक सुधांशु कुमार, डॉ समरेंद्र सिंह, धीरेंद्र सिंह, शिवेंद्र कुमार जीशु, सुरेश सिंह, सुमन सिंह, सुनील सिंह, रितेश सिंह, किसलय किशोर, अजय कुमार वर्मा, मनीष शुक्ला व अन्य लोग मौजूद रहे।
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