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गुरुवार, 24 जनवरी 2019

सिमुलतला का दर्देहाल मुझे कौंधता है : आशा दास



सिमुलतला (गणेश कुमार सिंह) :-
ट्रेडर सेल कमेटी कोलकाता के मेंबर् सह बँग्लार चौक कोलकाता के पत्रकार आशा दास कहतीं हैं कि यहां की दर्देहाल मुझे कौंधती है आशा दास बचपन से ही सिमुलतला आती रही हैं इनका अपना एक बंगला भी है जो मोहन कानून के नाम से जाना जाता है यह कहती हैं कि मैं लगभग 40 वर्षों से देखती आ रही हूं की 40 वर्ष पहले सिमुलतला जैसी थी अभी भी लगभग वैसी ही है। यहाँ यातायात जैसे ट्रैन, सड़क, अस्पताल, स्वक्षता आदि अन्य समस्याएं आज भी विधमान है। उन्होंने यहां के टूरिस्ट स्पॉट पर ग्रहण लगा हुआ बताई। श्री मति दास ने  सिमुलतला क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों से आह्वन किया कि आइये हम मिलकर सिमुलतला को एक कृतिमान मुकाम तक ले जाने में योगदान दें।
-मीडियाकर्मियों से बातचीत के दौरान उभरी कुछ समस्याएं -

» सुपरफास्ट ट्रैन का ठहराव न होना विकास की सबसे बड़ा बाधा

प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण रमणीक स्थान लट्टू पहाड़, राजबाड़ी जैसे ऐतिहासिक धरोहर से सुसज्जित एवं वर्तमान में अपना कृति स्थापित कर चुकी सिमुलतला आवासीय विद्यालय जो बिहार के टॉपरों की फैक्टरी के नाम से प्रख्यात होने जे बावजूद यहाँ कोई भी सुपरफास्ट ट्रैन का ठहराव नही होने से सैलानियों के साथ साथ अभिभावकों को पहुंचने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बहुत से हाई फाई फैमिली सिमुलतला आना तो चाहते है पर सुपरफास्ट ट्रैन की ठहराव न होने जे कारण मधुपुर एवं देवघर में ही ठहर जाते है, जिसकी खामियाजा यहाँ के स्थानीय ब्यापारी एवं ग्रामीणों को झेलना पड़ता है।

अस्पताल न होने से काल के गाल में सामने को विवश
क्षेत्र के 20 किलोमीटर की परिधि में एक मात्र अस्पताल हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर सिमुलतला तो है पर यह किसी का नही यहाँ किसी तरह की कोई सुबिधा उपलब्ध ही नही है। यहाँ गर्भवती महिलाओ को देवघर या झाझा ले जाने के शिवा दूसरा रास्ता नही है, कभी कभी रास्ते मे ही जच्चे या बच्चे को खोना पड़ता है। यहाँ ऑक्सीजन की कोई ब्यवस्था नही। अस्पताल में कर्मी तो हैं पर अस्पताल में सिर्फ ताले ही नज़र आते हैं अपनी अपनी हाजरी बनाकर सारे कर्मी छू मंतर हो जाते हैं।
सड़क व्यवस्था लचर
रमणीय स्थान का मुख्य केन्द्र बिंदु लटटू पहाड़ है, पर वहाँ जाने के लिए पक्की सड़क नही है। सरकारी फण्ड का फजूल खर्च कर पहाड़ पर सीढ़ी बना दिया गया, पर पहाड़ तक पहुंचने के लिए कोई व्यवस्था नही। जबकि बंगाल के पूर्व चीफ जस्टिस श्री सेन का बंगला भी इसी तरफ है। श्री सेन भी इस मुद्दे पर कई बार कह चुके हैं।
- स्वच्छ भारत की धज्जियां उड़ाते हैं ग्रामीण-
आशा दास कहती हैं कि जब केंद्र सरकार स्वक्ष भारत को लेकर मुहिम चला रखी है, जिसमे सभी घर मे शौचालय होना है, फिर भी ढेर सारे ग्रामीण अभी भी इस लाभ से वंचित है और लोटा लेकर बाहर जाने को विवश हैं। कुछ लोग ऐसे भी है जो शोचालय होने के बावजूद बाहर जाना अपनी आदत बना ली है, हमने ग्रामीण कुछ महिलाओं को बाहर शौचालय न जाने (दरवाजा बन्द) की सलाह भी दी है।

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