[रतनपुर(गिद्धौर) | भीम राज / अभिषेक]
गिद्धौर प्रखंड के इलाके के किसान धान की खेती को लेकर काफी चिंतित हैं। इलाके में समय पर बारिश ना होने की वजह से खेतों में दरारें पड़ गई है। धान के बीज गर्मी की वजह से जल रही है। वहीं कुछ किसान बताते हैं कि इस बार समय पर बारिश भी नहीं हुई है। दूसरी तरफ बिजली की अघोषित कटौती ने किसानों के उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। कड़ी धूप और वर्षाभाव से खेतों में लगे धान सूख रहे हैं। जिसे देखकर गिद्धौर के अलावे रतनपुर, मौरा, कोल्हुआ, सेवा, आदि पंचायतों के स्थानीय किसान वर्ग चिंतित एवं परेशान नजर आ रहे हैं। किसान पानी की तलाश में कभी पैईन/ डैम पर तो कभी बोरिंग पर जाते हैं, ताकि उनका फसल लहलहा जाए, पर सब जगह उन्हें निराशा हाथ लग रही है। बोरिंग का जल स्तर इतना नीचे चला गया है कि बोरिंग भी पानी उगलने में असमर्थ हो रहा है। कुछ किसानों का कहना है कि, बड़े-बड़े मंत्री सिंचाई व्यवस्था को लेकर बड़े बड़े दावे तो करते हैं, पर धरातल पर उनके दावे फिसड्डी नजर आते हैं। ग्रामीणों की यदि कहें तो, उनका मत है कि इलाके के डैम रखरखाव के अभाव में दम तोड़ रही है और धूप की तपिश के कारण धान के पौधे सूखने के कगार पर आ गए हैं। घर की जमा पूंजी को किसानों ने अपने खेतों में इस उम्मीद से डाला था कि आने वाले दिनों में जब फसल तैयार होगा तो अपने बच्चों की देखरेख बेहतर तरीके से कर सकेंगे। लेकिन विभागीय लापरवाही और मौसम की बेरूखी से किसान भाई का यह सपना चकनाचूर होता नजर आ रहा है। किसानों के बेबसी का आलम यह है कि रोने के बाद भी उसकी आंखों से आंसू नहीं निकल रहे।