प्रभावित होते स्वास्थ्य के बावजूद आखिर कौन-सी चीज पुरूषों को शर्मिंदा कर रही है? - gidhaur.com : Gidhaur - गिद्धौर - Gidhaur News - Bihar - Jamui - जमुई - Jamui Samachar - जमुई समाचार

Breaking

Post Top Ad - Contact for Advt

Post Top Ad - SR DENTAL, GIDHAUR

शुक्रवार, 21 सितंबर 2018

प्रभावित होते स्वास्थ्य के बावजूद आखिर कौन-सी चीज पुरूषों को शर्मिंदा कर रही है?


पटना   (अनूप नारायण)
: जैसे-जैसे पुरूषों की आयु बढ़ती है, उनके शरीर में ऐसे परिवर्तन होते हैं, जिन पर हमेषा नियंत्रण नहीं हो पाता है। अधिकांष पुरूषों में इन परिवर्तनों में से एक है पौरूष ग्रंथि (प्रोस्टेट) का बढ़ना। बड़ी आयु के पुरूषों का प्रोस्टेट छोटी आयु के पुरूषों की तुलना में बड़ा होता है। प्रोस्टेट की जो वृद्धि कैंसर के कारण नहीं होती है, उसे बेनाइन प्रोस्टैटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) कहते हैं। बड़ी आयु के पुरूषों में बीपीएच सर्वाधिक सामान्य स्थिति है, जिसमें 50 वर्ष की आयु के बाद प्रोस्टेट का आकार बढ़ता है! बीपीएच को पौरूष ग्रंथि विस्तार भी कहा जाता है- यह बढ़ती आयु के पुरूषों में पाई जाने वाली आम स्थिति है।
प्रोस्टेटाइटिस और बेनाइन प्रोस्टैटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) पौरूष ग्रंथि के आम रोग हैं; जो विश्व के लाखों पुरूषों को प्रभावित करते हैं। लेकिन यह जानना महत्वपूर्ण है कि बीपीएच प्रोस्टेट कैंसर नहीं है और इसके होने का कारण भी नहीं है। आपके प्रोस्टेट के आकार से लक्षणों की गंभीरता ज्ञात नहीं होती है। थोड़े बड़े आकार के प्रोस्टेट वाले कुछ पुरूषों में बड़े लक्षण हो सकते हैं, जबकि बहुत बड़े प्रोस्टेट वाले पुरूषों में न्यून लक्षण हो सकते हैं। कुछ पुरूषों में लक्षण स्थिर हो जाते हैं और कुछ समय बाद इनमें सुधार भी आ सकता है।

डॉ आर पी सिंह, सीनियर कंसल्टेंट यूरोलॉजिस्ट, ट्रेड प्रैक्टिशनर, के अनुसार, ‘‘बढ़ा हुआ (एनलार्ज) प्रोस्टेट पुरूष की मूत्र निकासी को सीधे प्रभावित करता है, क्योंकि ब्लैडर पर दबाव होता है या ब्लैडर संवेदनशील हो जाता है- इससे मूत्र निकासी की तीव्र इच्छा होती है। चूंकि ब्लैडर की खुद को खाली करने की क्षमता नहीं होती है, इसलिये थोड़ी-थोड़ी देर में पेषाब आने जैसा लगता है।’’
बीपीएच की प्रधानता आयु के साथ बढ़ती है, 70 वर्ष और इससे अधिक आयु के पुरूष इससे सबसे अधिक पीड़ित होते हैं। वर्ष 1997 में किये गये एक अध्ययन के अनुसार, भारत में आयु के हिसाब से बीपीएच की मौजूदगी 40-49 वर्ष के लिये 25 प्रतिषत, 50-59 वर्ष के लिये 37 प्रतिषत, 60-69 वर्ष के लिये 37 प्रतिषत और 70-79 वर्ष के लिये 50 प्रतिषत होती है।
आयु बढ़ने के साथ प्रोस्टेटिक रोग पुरूषों के जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। अच्छी नींद सभी के लिये आवष्यक है। वयस्कों के लिये यह 7-8 घंटे की होनी चाहिये। नींद में रूकावट होने से इंसोम्निया हो सकता है, जिसे चिकित्सकीय रूप से नींद आने में कठिनाई कहा जाता है या ऐसी नींद, जिससे दिन में तनाव होता है और सामाजिक तथा कार्यगत जीवन प्रभावित होता है।
प्रोस्टेटाइटिस और बीपीएच प्रोस्टेट में विकसित होने वाले रोग हैं; यह पुरूषों को होते हैं और उनके जीवन की गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं। यह प्रोस्टेट के रोगों के अलावा यौन शक्ति के अभाव से भी हो सकता है। यौन शक्ति का अभाव प्रोस्टेट रोग के उपचार से भी हो सकता है, इसलिये प्रोस्टेट के उपचार के समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिये। प्रोस्टेट के रोगों और उनसे संबद्ध यौन शक्ति के अभाव को समझकर पुरूषों के जीवन की गुणवत्ता बनाये रखने के लिये प्रत्येक स्थिति के लिये उपयुक्त उपचार का चयन करना चाहिये।
डॉ राजेश तिवारी, एसोसिएट प्रोफेसर, आईजीआईएमएस मेडिकल कॉलेज, के अनुसार, ‘‘कई पुरूषों का प्रोस्टेट आयु के साथ बढ़ता है, क्योंकि यह ग्रंथि जीवन भर वृद्धि करना बंद नहीं करती है। आयु बढ़ने के साथ पुरूशों को बीपीएच/प्रोस्टेट कैंसर की नियमित जाँच करवानी चाहिये। यदि मूत्र सम्बंधी कोई समस्या है, तो डाॅक्टर से बात करें। यदि मूत्र सम्बंधी समस्याओं से आपको कोई परेशानी नहीं होती है, तो भी उनके कारण जानना आवश्यक है। इन समस्याओं का उपचार नहीं होने से मूत्रमार्ग में अवरोध हो सकता है। डाॅक्टर से बात करना और बात करने में नहीं शर्माना महत्वपूर्ण है। आपके डाॅक्टर आपकी आयु, स्वास्थ्य और आप पर स्थिति के प्रभाव के अनुसार सही उपचार चुनने में आपकी मदद कर सकते हैं।’’

Post Top Ad -