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दुर्गा पूजा : महाशक्ति के आगमन का महापर्व महालया आज, कल 11 बजे तक

या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
यह मन्त्र अब चहुँ दिशा में गुंजायमान रहेगा. महालया को माता के आगमन की पहली सूचना माना जाता है, इसलिए इसका एक अलग ही महत्त्व है. दुर्गा पूजा के शुरू होने से पहले जो अमावस्या आती है, उसे महालया के रूप में जाना जाता है. एक प्रकार से इसी दिन से दुर्गा पूजा की शुरुआत हो जाती है. मान्यता ऐसी भी है कि महालया के शुरुआत से ही त्योहारों का मौसम शुरू होता है. साथ ही महालया हमारे जीवन में उल्लास, समृद्धि शांति लेकर आता है. अश्व‍िन महीने की अमावस्या को महालया होती है. महालया दुर्गा पूजा के प्रारंभ और पितृपक्ष के अंत का प्रतीक है. पितरों के तर्पण के साथ पितृपक्ष की समाप्ति होती है और देवि पक्ष की शुरुआत महालया तिथि से प्रारंभ हो जाती है.

इस साल शारदीय नवरात्र‍ गुरुवार यानी कि 21 सितंबर से शुरू होगा. इस साल महालया 19 सितम्बर मंगलवार को दिन के 11 बजे से 20 सितम्बर तक रहेगा. दुर्गा पूजा का यह पहला दिन रहता है. हिंदू मान्यता के अनुसार मां दुर्गा का भगवान भोलेनाथ से विवाह होने के बाद अपने मायके आगमन को महालया के रूप में मनाया जाता है. उनके लिए खास तैयारी की जाती है. मान्यतानुसार इस दिन माँ दुर्गा कैलाश पर्वत से भगवान् गणेश, कार्तिकेय, देवी लक्ष्मी और सरस्वती के साथ धरती पर आती हैं. महालया अमावस्या का खास महत्व गरूड पुराण में बताया गया है. हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार इस दिन हमारे पूर्वज हवा के रुप  में दरवाजे पर आकर दस्तक देते हैं. साथ ही अपने हर परिवार वालों से श्राद्ध की इच्छा रखते हैं.

(अपराजिता)
Gidhaur.com     |     19/09/2017, मंगलवार

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