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गिद्धौर : गंगरा के वार्ड 3 में नल जल योजना को कागज पर दिखा राशि निकाली, जलमीनार अधर में

गिद्धौर (News Desk): - अल्पसंख्यक टोले के लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने की मंशा से गिद्धौर के गंगरा पंचायत अंतर्गत वार्ड नं. 03 में दो वर्षों से अर्द्धनिर्मित अवस्था मे पड़ा नल जल योजना भष्ट्राचार की बली वेदी पर चढ़ गया है।


एकत्रित जानकारी अनुसार, विगत दो वर्षों से गंगरा पंचायत के वार्ड नं.3 में लगभग ₹19.40 लाख की लागत से बन रहा यह जल मीनार लावारिस पड़ा हुआ है जिसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं। इस प्रचंड गर्मी में जहां पेयजल लोगों के लिए समस्या बनी है, वहीं लाखों के सरकारी राशि के खर्च होने के बावजूद योजना के खटाई में पड़ जाने से गंगरा वार्ड 03 के अल्पसंख्यकों को पानी की एक बूंद भी अबतक मय्यसर नही हो सकी है।
यहां गौरतलब है कि, गंगरा के इस अल्पसंख्यक टोले में पेयजल के लिए बने जलमीनार की वस्तु-स्थिति पर अनियमितता का पहरा और जन सरोकार से जुड़ी सरकारी विकास कार्य में लगने वाली अटकने यूं ही आती रही तो पंचायत स्तरीय विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने के सरकारी दावे फिसड्डी सिद्ध होंगे।


बोले अल्पसंख्यक ग्रामीण - मजबूरी में पी रहे हैं दूषित जल -

बुधवार को गंगरा पंचायत  के वार्ड नंबर 03 निवासी ग्रामीण शाहिदा खातून, कासिम अंसारी, आफताब आलम,मेहताब आलम, चांदनी खातून, राशिद अंसारी,गुलाम मुस्तफा, तजरुल निसान, मोहम्मद लियाकत, मो. सलीम, मो. कलीम, सिराज सहित दर्जनों अल्पसंख्यक ने जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत वर्ष 2018 में ही मीनार का निर्माण करवाया जा रहा था, जो अब तक अधर में है। इस जलमीनार के बोरिंग एवं स्ट्रक्चर निर्माण का कार्य अबतक अधूरा है व टंकी से वाटर सप्लाय का मुख्य पाइप को भी ऐसे ही छोड़ दिया गया है। जबकि इसी वर्ष फरवरी माह में हम ग्रामीणों की शिकायत पर उक्त योजना की जांच करने आए अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सीमा कुमारी द्वारा उक्त योजना की जांच की गई थी, जिसमें इस अधूरे पड़े योजना को वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन सिमिति द्वारा कागज पर पूर्ण दिखा दिया गया था, और संपूर्ण राशि की निकासी कर लिये जाने का खुलासा भी ग्रामीणों द्वारा किया गया था। ग्रामीण बताते हैं की 19 लाख से अधिक राशि खर्च हो जाने के बावजूद भी आज तक उक्त योजना से घरों तक पानी नहीं पहुंच पाई है। लिहाजा ग्रामीण नदी का दूषित जल पीने को विवश हैं।

*- कहते हैं अधिकारी -*

" लॉक डाउन के कारण निर्माण कार्य बंद और अधूरा पड़ा था। राशि अभी आवंटित हुई है। काम चालू हो गया होगा।"         - गोपाल कृष्णन, बीडीओ, गिद्धौर (जमुई)