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गिद्धौर : किसानों के हक पर बिचौलियों का फैला है साम्राज्य


न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】:-

केसीसी अथार्त - किसान क्रेडिट कार्ड, एक ऐसी योजना जो किसानों के जख्मों पे मरहम लगाने का कार्य करती है। पर इन दिनों ये मरहम किसानों को राहत कम दर्द ज्यादा दे रही है।


जी हां, इन दिनों जमुई जिले के गिद्धौर, सोनो, झाझा, चकाई, बरहट आदि प्रखंडों में केसीसी पर बिचौलियों की चांदी कट रही है। जिससे किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से मिलने वाली ऋण स्थानीय किसानों के लिए जी का जंजाल बन गया है। कमीशनखोरी के इस धंधे ने बैंकों की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान लगाने शुरू कर दिये हैं। यदि प्रशासनिक व विभागीय स्तर पर सख्ती दिखाई जाए तो बिचौलियों के साम्राज्य को ध्वस्त किया जा सकता है।

◆ - पेंचीदे प्रक्रियाओं पर रहती है बिचौलियों की नजर -

किसान को राहत देने के नाम पर केसीसी के आधार पर बैंक उस किसान को ऋण उपलब्ध कराती है। इस ऋण पर किसानों को कोई सब्सिडी नहीं मिलती, पर कृषि से जुड़े किसी न किसी माध्यम से ये ऋण उनके लिए मददगार साबित होती है। पर इसका लाभ लेने के पेंचीन्दे प्रक्रियाओं पर किसानों को होने वाली परेशानी का फायदा ये बिचौलियों को मिलता है, जो किसानों को कमीशन देने के लिए विवश करती है। बिचौलिया या फिर बैंक में सक्रिय रहने वाले दलाल ही इस विवशता का कारण बनते हैं।

>> ये है आलम- 

बिचौलियों की मर्जी के बिना आवेदन पर अंतिम मुहर तक नहीं लगती। यानी सब कुछ मैनेज होकर चलता है। एक व्यक्ति को लोन लेने के लिए निर्धारित तय प्रतिशत पर कमीशन देना पड़ता है । कमीशन नहीं देने वालों का फॉर्म कोई न कोई खामियां बताकर अस्वीकृत कर दिया जाता है।

विभागीय आदेश पर बिचौलिया करते है अमल -

कृषि विभाग भी किसानों को केसीसी से जोड़ने के लिए प्रयासरत हैं। कई किसानों को इससे जोड़ा भी जा चुका है। ऐसे में विभागीय आदेश पर किसानों को केसीसी का लाभ मिलना बिचौलियों के लिए कमाई का स्त्रोत होता जा रहा है। इसमें विशेषतः गिद्धौर के अलावे जमुई जिले के दो अन्य प्रखण्ड शामिल हैं। हालांकि केसीसी पर बिचौलियों का हावी होने की खबर विभागीय अधिकारियों को भी है, बावजूद इसके किसी भी प्रकार की कार्रवाई का सामने न आना किसानों के मन को असंतुष्टि में रखे हुए है।


◆  किसानों की है इच्छा, बिन कमीशन मिले लोन -

 स्थानीय किसानों का कहना है कि हम किसानों को खेती के लिए लोन के सिवा कोई चारा नहीं रहा है। कुछ बैंकों में बिचौलिया के बगैर ऋण।मिलने के आसार भी नजर नहीं आते। किसानों की इच्छा है कि विभाग कुछ ऐसा प्रबंध करे कि केसीसी जैसे योजना में बिचौलिया चाहकर भी अपनी रोटी न सेंक सके।