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हैदराबाद : अखिल भारतीय छात्र सम्मेलन सम्पन्न, देश भर से हजारों छात्रों ने लिया भाग

हैदराबाद : 26-29 नवंबर तक हैदराबाद में आयोजित 9 वें अखिल भारतीय छात्र सम्मेलन में देश भर से हजारों छात्रों ने भाग लिया। सम्मेलन के दूसरा दिन राष्ट्रीय शिक्षा पर संगोष्ठी
पॉलिसी-2019 को देश के प्रख्यात व्यक्तित्वों ने सम्बोधित किया।
आईआईटी बॉम्बे के सेवानिवृत्त प्रोफेसर एवं सामाजिक कार्यकर्ता प्रो.राम पुनियानी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि,
“शिक्षा एक सामाजिक जिम्मेदारी है, न कि खरीदी जाने वाली वस्तु। यह देश के प्रत्येक बच्चे का जन्मसिद्ध अधिकार है। शिक्षा को लोकतांत्रिक, समावेशी और स्वायत्त होना चाहिए। वर्तमान सरकार प्रयास कर रही है हमारी शिक्षा प्रणाली को बदला जाए। वे गौरवशाली अतीत के नाम पर छात्रों के मन को सांप्रदायिक बनाना चाहते हैं। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक गलत दावा किया कि प्राचीन भारत में प्लास्टिक सर्जरी की व्यवस्था थी और गणेश भगवान को हाथी का सर उसी पद्धति से लगाया गया था। उनके कई मंत्रियों ने ऐसे कई दावे किए। वह ऐसा दावा कर रहे हैं कि प्राचीन भारत में सब कुछ था। और वे पौराणिक कथाओं को इतिहास और विज्ञान के रूप में पढ़ाना चाहते हैं।"
मद्रास विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के एचओडी प्रो. आर. मणिवन्नन ने इस अवसर पर बात की और कहा,
“शिक्षा सभी अधिकारों का सबसे मूल है।"
नालसर विश्वविद्यालय, हैदराबाद के वीसी फैजान मुस्तफा ने अपने वीडियो संदेश में कहा कि
“संविधान के अनुच्छेद 21 में सार्वजनिक शिक्षा को सभी के लिए शिक्षा सुलभ बनाना था। लेकिन भारत में स्कूली शिक्षा निजी हाथों में है। 70% छात्र उच्च शिक्षा के लिए निजी संस्थानों, डीम्ड विश्वविद्यालयों में जाते हैं। इन निजी विश्वविद्यालयों में फीस संरचना बहुत अधिक है। गरीब इसे बर्दाश्त नहीं कर सकता। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा का व्यवसायीकरण सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। और सरकार से आग्रह किया शुल्क वृद्धि को कम करने के लिए तत्काल उपाय करना चाहिए।"
इनके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. इरफान हबीब ने सम्मेलन में अपना संदेश भेजा।