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जमुई : नियम-क़ानून की उड़ी धज्जियाँ, जिलेभर में फर्राटा भर रही जुगाड़ गाड़ियाँ

जुगाड़ गाड़ी का न तो ट्रांसपोर्ट महकमे से रजिस्ट्रेशन कराया जाता है और न ही इस गाड़ी का कोई नंबर होता है. ये तो छोड़िये, ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं होता है.

जमुई [सुशान्त साईं सुन्दरम] :
जमुई जिला के कई इलाकों में टेम्पू, बस और टैक्सी जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है. कहीं जल्दीबाजी में जाना हो तो कोई उपाय नहीं है. जमुई के कई गांवों में इस समस्या से निजात दिला रही है एक गाड़ी. जिसे कहा जाता है जुगाड़ गाड़ी. इसका केवल यही एकमात्र नाम नहीं है. लोगों ने स्नेहवश इसके कई नाम अपनी सुविधानुसार रख दिए हैं. जैसे - झड़झड़िया, पटपटवा, छड़छड़वा, फटफटिवा, खरखरवा, ठेलवागाड़ी और न जाने क्या-क्या नाम से पुकारा जाता है, लेकिन इसकी प्रसिद्धि तो जुगाड़ गाड़ी के नाम से ही है.

सरकारी नियम-कानूनों के चेहरे पर काला धुंआ उड़ाती डीजल पंप सेट, मोटरसाइकिल का हैंडिल और रिक्शा-ठेले की बॉडी से स्थानीय स्तर पर तैयार यह जुगाड़ गाड़ी बेरोक-टोक धड़ल्ले से जमुई जिला के विभिन्न प्रखंड-पंचायतों के गावों की सड़कों पर फर्राटे भर रही है. सीमेंट, ईंट, बांस, लोहा का सरिया, टेंट-पंडाल का समान समेत किसी भी तरह की माल ढुलाई के लिए भी इस गाड़ी का जम कर इस्तेमाल हो रहा है. सुरक्षा के नाम पर इन वाहनों में किसी भी मानक को फॉलों नहीं किया जाता.

नहीं होता है गाड़ी का रजिस्ट्रेशन और नम्बर
प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस के नाक के नीचे सामान ढोने के लिए जुगाड़ गाड़ी का जम कर इस्तेमाल हो रहा है. इसे न तो ट्रांसपोर्ट महकमे से रजिस्ट्रेशन कराया जाता है न ही गाड़ी को कोई नंबर होता है और तो और उसे चलाने वाले ड्राइवर के पास ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं होता है. तिपहिया ठेला गाड़ी चलाने वाले ही उसे फर्राटे से सड़कों पर दौड़ा रहे हैं और उस पर सवार लोगों की जान हलक में अटकी रहती है. ‘अनारकली लद के चली’ के नारे पर अमल करती यह गाड़ी कानून को ठेंगा दिखाते हुए धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रही है. जमुई जिला के गांव-देहात के इलाकों में तो तेज सवारी का दूसरा नाम बन गया है जुगाड़ गाड़ी. जुगाड़ गाड़ी पर सफर करने वालों की जान हर वक्त हलक में अटकी रहती है.
सड़क पर दूसरी गाड़ियों के लिए भी है खतरा
जुगाड़ गाड़ी को चलाने वाले बड़े ही खतरनाक तरीके से सामानों को ढोते हैं. उस पर लोहे का सरिया, बांस और ईंट को लाद का गाड़ी का एक्सेलेटर दबाए तेजी से गाड़ी को सड़कों पर दौड़ाते रहते हैं. इससे उसके आस-पास चलती गाड़ियां हमेशा ही खतरे की जद में रहती है. जमुई के ग्रामीण इलाकों में लोकल ट्रांसपोर्ट की भारी कमी के बीच जुगाड़ गाड़ी फर्राटे से दौड़ रही है और गरीबों के रोजमर्रा के जीवन की राह को आसान तो बना रही है, पर इसके साथ ही वह ट्रैफिक नियमों को भी कदम-कदम पर तोड़ रही है और सड़कों पर मौत बन कर फिर रही है.

प्रदुषण को भी दे रहे बढ़ावा
ये जुगाड़ गाड़ी वातावरण में प्रदुषण को भी बढ़ावा दे रहे हैं. गाड़ियों से काला धुंआ निकलता है, जो वायु को प्रदूषित कर रहे हैं. लोगों के बगल से जब भी कभी जुगाड़ गाड़ी गुजरती है, उन्हें अपनी नाक को ढंकने को विवश होना है. इसके अलावा इंजन की तेज आवाज से भी लोगों को काफी परेशानी होती है. इससे ध्वनि प्रदुषण भी हो रहा है और बच्चे-बूढों को कान की समस्या भी उत्पन्न हो सकती है.

15 से 20 हजार में तैयार हो जाता है जुगाड़
गांवों की सड़कों पर फर्राटा भरने वाले जुगाड़ गाड़ी को तैयार करने मात्र 15 से 20 हजार रूपये का खर्च आता है. अधिकतर पुराने स्कूटर या बाइक के इंजन के साथ छोटे ठेले व रिक्शा को जोड़कर जुगाड़ तैयार किया जाता है. इनको बनाने में 15 से 20 हजार रूपये की लागत आती है. अधिकतर छोटे जुगाड़ पुराने स्कूटर या बाइक के इंजन से बनाए जाते हैं. कबाड़ी बाजार से पंपिंग मशीन, पुरानी मोटरसाइकिल, स्कूटर, आटो रिक्शा और आटा चक्की के पुराने पुर्जों को खरीद कर जोड़-तोड़ कर जुगाड़ गाड़ी तैयार की जाती है. तिपहिया ठेला गाड़ी में कल-पुर्जा लगा कर जुगाड़ गाड़ी बना ली जाती है. कोई भी मोटरसाइकिल, स्कूटर या औटो रिक्शा मैकेनिक उसे आसानी से तैयार कर देता है.

जुगाड़ से बनती है जुगाड़ गाड़ी
पुराने स्कूटर या बाइक का इंजन लेकर उसे ठेले व रिक्शा में फिट कराकर बनाया जाता है. पुराने स्कूटर या बाइक की आधी बॉडी को छोटी टू व्हीलर ट्रॉली के साथ जोड़कर बनाया जाता है. पुराने स्कूटर या बाइक के इंजन की लागत 4 से 5 हजार रूपये आती है. थ्री व्हीलर रिक्शा की बॉडी आमतौर पर 2 से 3 हजार रूपये में मिल जाती है. तीन पहिए और वायरिंग का खर्च औसतन 2 से 3 हजार रूपये आता है.

जुगाड़ में खपाए जा रहे चोरी के वाहन
इस बात से कतई इनकार नहीं किया जा सकता कि जुगाड़ गाड़ी में लगने वाले  सामान एक्सीडेंटल या चोरी की गाड़ी का होता है. जुगाड़ गाड़ी के एक चालक की मानें तो शहर से चोरी होने वाले अधिकतर दुपहिया वाहनों के इंजन का इस्तेमाल छोटे जुगाड़ वाहनों में किया जा रहा है. दरअसल, वाहनों के इंजन का नंबर मिटाकर उसे जुगाड़ में फिट कर दिया जाता हैं.

सरकार लगा चुकी है जुगाड़ गाड़ी पर बैन
बिहार सरकार ने 6 मार्च 2017 को जुगाड़ गाड़ियों के परिचालन पर प्रतिबंध लगा दिया था. राज्य परिवहन आयुक्त ने संयुक्त परिवहन आयुक्त, डीटीओ, मोटर यान निरीक्षकों और प्रवर्तन तंत्र के पदाधिकारियों को इन वाहनों पर रोक लगाने का आदेश दिया था.