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स्टेटस सिंबल बन गया है अंग्रेजी बोलना, हिंदी से दूर हो रहे युवा

  :- अक्षय कुमार

: हिंदी संवैधानिक रूप से भारत की प्रथम राज भाषा है. हालाँकि भारत के लगभग सभी राज्यों की अपनी-अपनी अलग भाषाएँ है, फिर भी हिंदी दुनिया की सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा है.
वर्तमान में लोगों की मानसिकता ये है कि कोई अपने आप को बिहारी, कोई मराठी तो कोई गुजराती कहता है. लेकिन कोई ये नहीं कहता है कि हम भारतीय हैं. उसी प्रकार कुछ लोग सिर्फ अपनी एक अलग व्यक्तित्व बनाने के लिए, स्वयं को दूसरों से ज्यादा विद्वान दिखाने के लिए अपनी राष्ट्रभाषा भूलकर विदेशी भाषा बोलने लगते हैं. वे यह भूल जाते हैं कि वे एक भारतीय हैं. असल में उनसे बड़ा मूर्ख कोई हो ही नहीं सकता जिसे शुद्धता से अपनी राष्ट्रभाषा की जानकारी नहीं है. आजकल के बच्चे प्रणाम या नमस्कार की जगह हाई या हैलो जैसे शब्दों का प्रयोग करते हैं. भारत एक सांस्कृतिक देश है, अपनी मनमोहक संस्कृति के लिए पूरे विश्व में विख्यात है. भारत ही एक मात्र ऐसा देश है जहाँ के बच्चे आज भी बड़ो का पैर छूकर उनका सम्मान करते हैं. फिर आखिर क्यों हम अपनी संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं. अपने बच्चों को प्रणाम करने के जगह पर हैलो बोलना सिखा रहे हैं.

90% युवा अपने प्रेमी अथवा प्रेमिका को आकर्षित मात्र करने के लिए अपनी राष्ट्रभाषा भूल जाते हैं, उन्हे यह नहीं पता होता है कि प्रेम का जन्म हिन्दी से ही हुआ है.
ऐसा नहीं है कि अंग्रेजी न सीखें... अंग्रेजी सीखकर विदेशियों को दिखाएं कि हम उनसे ज्यादा अच्छी अंग्रेजी बोल और समझ सकते हैं लेकिन अपनी राष्ट्रभाषा का महत्व नहीं भूलें.
कोई नेता अंग्रेजी की दो पंक्तियां बोलकर लोगों के मन में एक अलग छवि स्थापित कर लेता है. ये गलत है जो अपनी राष्ट्रभाषा की कद्र नहीं कर सकता वो लोगों की कद्र क्या करेगा. उन्हें सिर्फ पैसों से मतलब होता है. आप कितना अंग्रेजी जानते हों, चोट लगने पर हिंदी में ही माँ को पुकारेंगे. हिन्दी ही है जो हमें अखंड भारत दे सकती ही. हिन्दी ही है जो हमें भारतीयता, आत्मीयता और अपनापन का पाठ सिखाती है. हिंदी को विश्व भाषा बनने के बनाने के लिए हमें एकजुट होकर प्रयास करना चाहिए.

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