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झाझा : रूक्मिणी के जलाए शैक्षणिक ज्योत से जगमगा रहे हैं गरीबों के आशियाने

[न्यूज डेस्क | अभिषेक कुमार झा]

जमुई जिले में शिक्षा के ग्राफ को उठाने में कई शिक्षकों ने अपना अहम योगदान दिया है। इनमें से एक नाम रूकमिनी का भी है।
रूक्मिणी का नाम प्रखर समाजसेविका, नारी शिक्षा उत्प्रेरक वाहक के रूप पूरे इलाके में दीदी जी के नाम से लिया जाने लगा  है।
रूकमिनी की संघर्ष गाथा इतनी लंबी है कि उसके लिए अल्फाज भी ऋणी हो जाए। गिद्धौर की पुत्रवधु रूकमिनी बताती हैं कि उनके इस त्याग और समर्पण से समाज के लड़कियों को संदेश देना चाहती है कि वे घर की देहरी लांघकर अपने घर-परिवार व समाज के हित में रोजगार कर विकलांग मानसिकता पर सकारात्मक सोच को ला सकती हैं।
  गिद्धौर की बहू रूकमिनी द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में जलाए गए ज्योति से आज कई गरीबों के आशियाने जगमगा रहे हैं।
बच्चों के शिक्षा के प्रति अपने त्याग और समर्पण की भावना रखते हुए आज रूकमिनी झाझा में एक आदर्श शिक्षिका के रूप में अपनी पहचान बनाई है।
अपने माइके झाझा में रहकर घर, ससुराल व परिवार के पांच सदस्यों की जवाबदेही का संतुलित बोझ उठाकर दर्जन भर गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा देकर उन्हें पठन पाठन सामग्री भी मुहैया कराने वाली रूक्मिणी का मानना है कि महिलाएं पुरुषों की बराबरी में रोजगार कर अपनी आर्थिक स्थिति सुधार कर अपने परिवार को सहयोग कर सकती हैं।
और जिस दिन महिलाओं ने महिलाओं को समझना, उनकी सराहना करना और आगे बढ़ने को हिम्मत देने की शुरूआत कर दी, उसी दिन से पुरुष सत्तात्मक समाज में स्त्री अपनी पहचान स्थापित करने में कामयाब हो जाएंगी।

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