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शनिवार, 3 फ़रवरी 2018

कैमूर : कर्मनाशा नदी को पार कर रोजाना यूपी में पढ़ने जाते हैं सैंकड़ों बच्चे

Gidhaur.com (शिक्षा) : जिस धारा को पार करने में बड़े-बड़ों के छक्के छूट जाते हैं, उसे नौनिहाल हर दिन छोटी नाव से पार करते हैं। किताबी ज्ञान के पहले इन्हें कर्मनाशा नदी की बलखाती लहरों पर अग्नि परीक्षा देनी पड़ती है। आने वाला भविष्य तो इन बच्चों को नहीं पता किंतु वर्तमान में इनके सिर पर मंडराते खतरे से माता-पिता की भी सांसें अटकी रहती है। मानसून आने से लेकर शरद ऋतु के जाने तक ये समस्या सामने मुंह बाए खड़ी रहती है।

जी हाँ, हम बात कर रहे हैं कैमूर के दुर्गावती प्रखंड के धडहर पंचायत के एक दर्जन से अधिक गांव के छात्र-छात्राओं की, जो हर रोज बलखाती कर्मनाशा नदी को नाव से पार कर यूपी के भुजना इंटर कॉलेज में किताबी ज्ञान लेने जाते हैं। इस पंचायत में प्राथमिक और मध्य विद्यालय है। लिहाजा आठवीं तक की तालीम बच्चे अपने गांव-गिराव में ही ले लेते हैं। लेकिन मैट्रिक और इंटर तक की पढ़ाई करने के लिए इन्हें उफनती कर्मनाशा नदी को छोटी नाव से पार कर उत्तर प्रदेश के भुजना इंटर कॉलेज में जाना पड़ता हैै।

पंचायत के पूर्व मुखिया योगेंद्र यादव ने कहा कि दो-तीन पंचायतों के 2 दर्जन से अधिक गांवों के सैकड़ों बच्चे रोजाना कानपुर गांव के समीप छोटी नाव से नदी के उस पार उत्तर प्रदेश के भुजना गांव जाते हैं। बच्चों की तादाद काफी है, जिसमें बच्चियां भी हैं। जिनकी संख्या 200 से कम नहीं है। धडहर, पिपरी, कानपुर, बेलखुरी, नौबाट, भानपुर,धनसराय, बडौरी आदि जैसे गांव हैं।

इस पंचायत के गांव से बिहार के कैमूर जिले में स्थित इंटर स्तरीय विद्यालयों की दूरी 15 से 20 किलोमीटर है। एक तरफ चांद प्रखंड में इंटर स्तरीय विद्यालय गांधी स्मारक है तो दूसरा इंटर स्तरीय विद्यालय दुर्गावती का धनेछा। इन गाँवों से दोनों विद्यालयों की दूरी 15 से 20 किलोमीटर है।

यही कारण है कि इतनी लंबी दूरी तय करने के बजाए एक दर्जन गाँव के सौ से अधिक बच्चे नदी पार कर यूपी में जाते हैं। यानी बच्चे गुणवत्तापरक शिक्षा की आस में उफनती कर्मनाशा नदी की धारा पार कर दो-तीन किलोमीटर दूर दूसरे राज्य में इंटर की पढ़ाई करने को मजबूर हैं।

इसके लिए इन्हें हर रोज दिन में दो बार कर्मनाशा नदी को नाव से पार करना पड़ता है। पानी की अग्निपरीक्षा के दौर से गुजरने के बाद इन छात्रों को 10वीं और 12वीं की डिग्री नसीब हो पाती है। साहस की बात तो यह है कि कभी-कभार जब नाविक नहीं होता है तो खुद ही नाव पार लगाते हैं। बहरहाल दुर्गावती में पांच हाई स्कूल पुराने हैं जबकि दो तीन मध्य विद्यालयों को टेन प्लस टू में उत्क्रमित किया गया है। यह सभी विद्यालय पुराने हाईस्कूल के इर्द-गिर्द के हैं। सरकार को जब विद्यालयों को उत्क्रमित करना ही है तो क्यों नहीं वैसे विद्यालयों को टेन प्लस टू में उत्क्रमित किया जाए जहां कई किलोमीटर तक इंटर स्तरीय विद्यालय नहीं है।

अनूप नारायण
03/02/2018, शनिवार



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