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बुधवार, 14 मई 2025

रतनपुर : थरघटिया में श्रीकृष्ण कथा का हुआ समापन, श्रद्धालुओं ने भक्ति-सागर में लगाई डुबकी

रतनपुर/गिद्धौर (Ratanpur/Gidhaur), 14 मई 2025, बुधवार : गिद्धौर प्रखंड के रतनपुर पंचायत अंतर्गत थरघटिया गांव स्थित बाबा ब्रह्म स्थान परिसर में आयोजित 11 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का समापन सोमवार को अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के माहौल में संपन्न हुआ। यह आध्यात्मिक आयोजन श्री श्री 1008 शिव शक्ति यज्ञ राधा कृष्ण प्राण प्रतिष्ठा के अंतर्गत संपन्न हुआ, जिसमें देश के प्रसिद्ध आध्यात्मिक प्रवक्ता, वृंदावन धाम से पधारे परम पूज्य श्री उदित जी महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण की मधुर लीलाओं और आध्यात्मिक उपदेशों का विस्तृत वर्णन किया।

समापन समारोह में बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु उपस्थित हुए, जिन्होंने कथा श्रवण के माध्यम से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया। कथा के अंतिम दिवस पर रासलीला, मथुरा गमन, कुब्जा उद्धार, रुक्मिणी विवाह, शिशुपाल वध और सुदामा चरित्र जैसे अत्यंत हृदयस्पर्शी प्रसंगों का भावपूर्ण वर्णन किया गया। भक्ति भाव से ओतप्रोत भजनों ने समस्त वातावरण को संगीतमय कर दिया और श्रद्धालुओं को दिव्यता की अनुभूति कराई।

"ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए बाह्य प्रदर्शन की नहीं, बल्कि मन की निर्मलता की आवश्यकता होती है," श्री उदित जी महाराज ने कहा। उन्होंने बताया कि भगवान केवल उसी भक्ति को स्वीकार करते हैं, जो निर्मल हृदय और निष्कपट भावना से की जाती है। उन्होंने श्रीकृष्ण के जीवन प्रसंगों के माध्यम से युवाओं को यह संदेश दिया कि वे समाज में व्याप्त बुराइयों, अन्याय और कटुता को दूर कर एक सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाएं।

श्री उदित जी महाराज ने कथा की महत्ता बताते हुए कहा, "श्रीमद्भागवत कथा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह मानव जीवन को दिशा देने वाला दीप है।" उन्होंने आगे कहा कि मनुष्य जन्म तो लेता है, पर यदि वह जीवन का उद्देश्य नहीं समझता तो उसका यह अमूल्य जीवन व्यर्थ चला जाता है। भागवत कथा आत्मज्ञान और सद्कर्म की ओर प्रेरित करती है तथा उस स्थान पर जहां यह होती है, वहाँ नकारात्मक ऊर्जा स्वतः समाप्त हो जाती है और सकारात्मकता का संचार होता है।
उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीकृष्ण का जन्म केवल एक पौराणिक घटना नहीं, बल्कि मानव समाज के कल्याण और उद्धार के लिए हुआ था। उन्होंने बताया कि अत्याचारी कंस ने श्रीकृष्ण के जन्म को रोकने के अनेक प्रयास किए, परंतु अंततः उसका अंत भी श्रीकृष्ण के हाथों ही हुआ और उसे मोक्ष प्राप्त हुआ।

कथा के दौरान गिद्धौर क्षेत्र ही नहीं, बल्कि दूर-दराज से भी हजारों श्रद्धालु पहुंचे और 11 दिनों तक भक्ति की गंगा में अवगाहन करते रहे। समापन अवसर पर हवन कार्यक्रम का भी आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं ने आहुति अर्पित कर विश्व शांति एवं लोककल्याण की कामना की। आयोजकों ने जानकारी दी कि मंगलवार प्रातः कलश विसर्जन के साथ कार्यक्रम का विधिवत समापन किया जाएगा।

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