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शुक्रवार, 20 दिसंबर 2024

तिल–गुड़ की सौंधी खुशबू से महक रहा गिद्धौर बाजार, ठंड आते तिलकुट की बिक्री शुरू

गिद्धौर/जमुई (Gidhaur/Jamui), 20 दिसंबर 2024, शुक्रवार : ठंड की शुरुआत होते ही गिद्धौर बाजार में तिल–गुड़ की सौंधी खुशबू के साथ तिलकुट के दुकान सज चुके हैं। अलग अलग कारीगरों द्वारा बनाए जा रहे तिलकुट के स्वाद में भी काफी अंतर है, जिसमें गुड़ से तैयार किया हुआ तिलकुट, खोवा तिलकुट, चीनी तिलकुट इस बार बाजार में बन रहे हैं। 

तिलकुट विक्रेता चंदन गुप्ता ने कहा –
तिलकुट निर्माण उनका खानदानी व्यवसाय है। जिसमें हर वर्ष ठंड के दिनों में तिलकुट की बिक्री की जाती है। इस वर्ष गुड़ वाले तिलकुट की कीमत 280 रुपए प्रति किलो, चीनी वाले तिलकुट की कीमत 240 रुपए प्रति किलो एवं खोया वाले तिलकुट की कीमत 350 रुपए प्रति किलो है।

चंदन बताते हैं कि बीते तीन से चार वर्षो में तिलकुट के दाम में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण उसे बनाने में आने वाली लागत में बढ़ोतरी है। साथ ही बाजार में कई कंपीटीटर के होने की वजह से भी इसकी बिक्री पर प्रभाव पड़ा है और इस वजह से दाम भी बढ़े हैं। 

तिलकुट विक्रेता बमबम केशरी ने कहा कि वह हर वर्ष ठंड के मौसम की शुरुआत में ही गिद्धौर बाजार में तिलकुट बनाते हैं जो मकर संक्रांति के करीब पंद्रह दिन बाद तक भी बनाया जाता है। उनकी दुकान में मिलने वाले तिलकुट का स्वाद अन्य दुकानों के मुकाबले अलग होता है क्योंकि वह गुड़ को अधिक देर तक गर्म करते हैं और इसके बाद तिल को भी अलग प्रकार से भूनते है। जिससे कि उनका तिलकुट काफी खस्ता होता है और ग्राहक उनकी तिलकुट को काफी पसंद करते हैं। 
वहीं स्थानीय गृहणी सरिता केशरी कहती हैं कि समय के साथ साथ स्वाद और शुद्धता में भी बदलाव हुआ है। कारीगर गुड़ के तिलकुट में चीनी की चाशनी का मिलावट कर दे रहे हैं, जिससे स्वाद और गुणवत्ता भी प्रभावित हो रहा है। 

शिव प्रसाद रावत कहते हैं कि पहले चुनिंदा तिलकुट विक्रेता थे जो स्वाद और गुणवत्ता बनाए रखते थे। अब खस्ता तिलकुट ढूंढने पर भी नहीं मिलता। चीनी की मात्रा अधिक और तिल की मात्रा कम हो गई है। इससे तिलकुट कठोर बन रहा है।

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