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Exclusive Report : दावों और वादों में खोखली साबित हो रही गिद्धौर से सेवा जाने वाली सड़क

सेवा/गिद्धौर (Sewa/Gidhaur) | Abhishek Kumar Jha : बिहार (Bihar) में चुनावी मौसम के आगाज होते ही विकास एक वोट बैंक (Vote Bank) की संज्ञा बन जाती है। विकास के दावे और वादे कर सत्ता की किरसी तक पहुंचा जाता है। गरीब, नासमझ और जागरूकता की अभाव में जीने वाली जनता इसे सच मानकर सुखद भविष्य की कल्पना ही करती है। लेकिन ऐसे में किसी भी राजनीतिक दल (Political Party) अथवा सरकार (Government) और इलाके के जनप्रतिनिधि मूलभूत सुविधाओं का ही दावा करते है। विकास का सफर किसी गांव के दहलीज से शुरू होकर सरकारी अभिलेख (Government Record) में सिमट जाती है, पर बिहार (Bihar) के जमुई जिले (Jamui District) में एक गांव ऐसा भी है जहां के लोगों को दशकों से एक चलने योग्य सड़क भी नसीब नहीं हो सकी है।
किसी भी गांव के भविष्य और विकास के लिए सड़क और पानी सबसे मूलभूत सुविधाएं है, लेकिन उक्त गांव की वास्तविक्ता टटोलनी हो तो जमुई जिले के सेवा पंचायत (Sewa Panchayat) में आइये, गिद्धौर प्रखण्ड (Gidhaur Block) क्षेत्र का यह ऐसा गांव है जहां के लोगों को प्रखंड मुख्यालय तक के महज 5 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक से डेढ़ घंटे तक की समय लग जाती है। कारण यह है कि गिद्धौर से सेवा जाने वाली सड़क अब सड़क नहीं रही। एक रास्ता मात्र है जिसमें अनगिनत गढ्ढे हैं और इन गढ्ढों के अगल-बगल पुरानी बनी सड़क के अवशेष मात्र बचे हुए हैं। बरसात के दिनों में जहां इन गढ्ढों में पानी ही पानी नजर आता है वहीं जाड़ा-गर्मी में धूल भरा रहता है।

- उदासीन है जन प्रतिनिधियों का रवैया -
लोगों का आक्रोश जनप्रतिनिधियों के लिए भी है, जो चुनाव (Election) के समय आते हैं और वोट (Vote) मांगते हैं। बदले में आश्वासन देते हैं कि उनके लिए विकास का काम किया जाएगा। लेकिन कोई भी जनप्रतिनिधि पलट के देखने के लिए भी नहीं आता है। लोगों का कहना है कि सड़क (Road) नहीं होने की वजह से यहां लोगों को कही भी जानें में परेशानी होती है। साथ ही स्वास्थ्य (Heath) खराब होने पर इमरजेंसी (Emergency) के वक्त किसी भी वाहन तक पहुंचाने के लिए इनकी तकलीफें कई गुणा बढ़ जाती है। अब आप कहेंगे कि बस सड़क की समस्या है, यहां तो पीने का पानी (Drinking Water) भी ग्रामीणों की समस्या में शुमार है। सेवा गांव में जल नल योजना (Nal Jal Yojna) शुरू तो हुई पर जरूरतमंद अभी भी वंचित है, जिससे इस गर्मी की तपिश में उनकी प्यास नहीं बुझ रही। अब प्यास बुझाने के लिए तो पानी के विकल्प हैं, पर सेवा से गिद्धौर (Gidhaur) प्रखण्ड मुख्यालय तक के पथरीले सड़क का कोई विकल्प नहीं।
(वार्ड 4 में कुंए पर ग्रामीण)
- सड़क निर्माण को लेकर ग्रामीणों का धरना असरहीन -
गिद्धौर रेलवे स्टेशन (Gidhaur Railway Station) से होते हुए सेवा गांव ( Sewa Village) की ओर जाने वाली सड़क के निर्माण को लेकर गिद्धौर प्रखंड कार्यालय (Gidhaur Block Office) परिसर में बीते 7 जनवरी 2020 को सभी ग्रामीण एकत्रित होकर एकदिवसीय धरना प्रदर्शन करते हुए सड़क निर्माण की मांग की थी। धरना के समापन के बाद गिद्धौर बीडीओ गोपाल कृष्णन (Gidhaur BDO Gopal Krishnan) को ज्ञापन भी सौंपा गया, पर 6 माह से भी अधिक समय बीत जाने के बाद स्थिति यथावत है, इससे ग्रामीणों में और भी अधिक आक्रोश पनप रहा है।
बीडीओ को ज्ञापन सौंपते हुए ग्रामीण (07 जनवरी 2020 की तस्वीर)
- वर्षों से ग्रामीणों की अधूरी है ख्वाइशें -
जानकारी से अवगत करते चले कि लगातार कई महीनों से सेवा गांव के ग्रामीणों द्वारा इस जर्जर सड़क के जीर्णोद्धार को लेकर लिखित आवेदन के माध्यम से जिले के आलाधिकारी (Jamui District Administration) जमुई सांसद (Jamui MP), झाझा विधायक (Jhajha MLA) सहित तमाम प्रतिनिधियों व पदाधिकारियों को इस जड़त्व समस्या को लेकर ध्यान आकृष्ट कराया जा चुका है, लेकिन गिद्धौर थाना (Gidhaur Police Station) से गिद्धौर रेलवे स्टेशन होते हुए सेवा गांव तक जाने वाली इस सड़क से जुड़ी ग्रामीणों की मूलभूत समस्या को लेकर विभागीय स्तर पर उदासीनता के कारण हजारों लोगों को इस सड़क से सफर करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
- सांसद चिराग से भी टूट गयी लोगों की उम्मीदें -
सरकारी कुव्यवस्था के मार से कुठिंत हो चूका गिद्धौर रेलवे स्टेशन सड़क के निर्माण की आस लोगों में तब जगी थी जब जमुई सांसद चिराग पासवान (Jamui MP Chirag Paswan)  ने 30/8/2018 को पत्रांक 81250/CPO/VIP/2018  के माध्यम से ग्रामीण कार्य विभाग (Ruler Works Department) के सचिव को पत्र लिखकर उक्त समस्या से अवगत कराते हुए इस विकास कार्य को करवाने हेतु अग्रेतर कार्यवाई करने की बात कही।
सांसद चिराग के इस पत्र की प्रतिलिपि ग्रामीण कार्य विभाग मंत्री शैलेष कुमार, ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल झाझा के कार्यपालक अभियन्ता को भी दी थी। दो साल बीत गए आज और इन दो सालों में कोई बेहतर व सन्तुष्टजनक परिणाम उभर कर सामने नहीं आ सके हैं। परिणामतः दिन ब दिन स्थिति बद से बदत्तर होने से इस मार्ग में सडक से ज्यादा उसमें गड्ढे ही नजर आते हैं। पक्की सड़क के अभाव में बरसाती मौसम में जलमग्न हो जाने वाले इन सडकों की नारकीय हालत में सुधार लाने के प्रयास में सांसद चिराग भी बैकफुट पर दिख रहे हैं।

दर्जनों गांवों को जोड़ने के लिए एकमात्र सड़क पर लाखों खर्च, परिणाम शून्य
गिद्धौर से रेलवे स्टेशन होते हुए सेवा (Sewa), धमना (Dhamna), रामाकुराब (Ramakurab), थड़घटिया (Tharghatiya), कुड़ीला (Kudila), गेनाडीह (Genadih), गोविंदपुर(Govindpur) जाने का एकमात्र रास्ता है। बिहार सरकार (Govt. of Bihar) के ग्रामीण कार्य विभाग, कार्य प्रमंडल झाझा (Jhajha), जमुई (Jamui) द्वारा गिद्धौर रेलवे स्टेशन से निचली सेवा, रामाकुराब, थड़घटिया, भाया गेनाडीह पथ निर्माण योजना के तहत 2.93 किलोमीटर सड़क का निर्माण तकरीबन 77 लाख रुपये की सरकारी लागत सर की गई थी। उक्त सड़क का निर्माण कार्य 10/10/2013 से शुरू होकर 09/01/2014 तक चला था, ताकि गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत आने वाले इन गांवों के निवासियों को मुख्यालय एवं बाजार (Gidhaur Market) आवागमन में असुविधा न हो। लेकिन एक बार जो सड़क बन गया तब से अब तक इसका मरम्मत तक न किया जाना ग्रामीणों को अंदर ही अंदर कचोट रहा है।


आपके भरोसेमंद और विश्वसनीय gidhaur.com ने जीवंत रखा है मामला
एक ओर जहां इस पथरीले डगर की गाथा ने अखबार (News Paper) की सुर्खियों में दम तोड़ दिया है, वहीं दूसरी ओर  क्षेत्र का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला पोर्टल gidhaur.com एवं इसके ऑफिसियल यूट्यूब चैनल (live.gidhaur.com) के माध्यम से निरन्तर इस मामले को ग्रामीण हित में जीवंत रख सरकार व जन प्रतिनिधियों को ध्यानाकृष्ट कराया जा रहा है, ताकि, कम से कम चलने लायक सड़क निर्माण हो सके।

हादसे को आमंत्रित करने वाली सड़क पर दम तोड़ रही जिन्दगियां -
सरकारी हुक्मरानों के कानों तक पहुंचने वाली गरीबों की फरियाद जब उनके दहलीज पर ही दम तोड़ने लगी तो अब गिद्धौर-सेवा (Gidhaur to Sewa)  जाने वाली एक मात्र पथरीले व गड्ढ़ेनुमा सड़क पर उन गरीबों की जिंदगियां दम तोड़ने लगी। बीते दिन गिद्धौर-सेवा के जर्जर सड़क ने 50 वर्षीय जिम्मेदार पुरुष की आहूति ले ली। बताया जाता है कि कैलाश पण्डित (मृतक) अपने निजी कार्य के लिए सेवा से नवादा (Nawada) की ओर जा रहे थे। बता दें, रोज इस मार्ग से आवागमन करने वाले सैंकड़ों यात्री की जान हथेली पर रहती है।
गौरतलब है कि बिहार (Bihar) में चुनावी (Election) शंखनाद होने के बाद भी इस ओर न तो सत्ताधारियों का ही ध्यान है और न ही जनप्रतिनिधियों का, परिणामतः  संकरी और पथरीले सड़क के मरम्मतीकरण के लिए सेवा ग्रामवासी सरकारी हाकिमों से लेकर सियासतदानों तक गुहार लगा थक चुके हैं, पर उनकी गुहार नक्कारखाने में तूती की आवाज सिद्ध हो रही है।
[Edited by: सुशान्त साईं सुन्दरम]
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