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गिद्धौर : घर में गूंजने वाली थी बच्चे की किलकारी, पसर गया मातम

>> ड्यूटी जाने के क्रम में हुई सड़क दुर्घटना, बेहाल हैं परिजन...

न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा】 :-

सोनो-झाझा मुख्यमार्ग दुर्घटना का पर्याय बनता जा रहा है। सड़कों पर बने जानलेवा गड्ढे आये दिन हादसे को आमंत्रण देते रहते हैं। ताजा घटना सोमवार की है, जहां सोनो-झाझा मुख्य पथ स्थित पेनबाजन पुल पर हुए सड़क दुर्घटना में रेलवे कर्मी राकेश कुमार गंभीर रूप से घायल हुए और इलाज के दौरान उनकी मौत हो गयी।



         घटनास्थल से प्राप्त जानकारी अनुसार, राकेश कुमार अपने ससुराल डुमरी गांव से मोटरसाइकिल लेकर झाझा अपने डियूटी के लिए जा रहे थे। इसी क्रम में उबड़-खाबड़ पेनबाजन पुल एवं बड़े बाहन की चपेट में आने से वे घायल होकर सड़क पर गिरे और अचेत हो गए। लोगों की नजर जैसे ही इस हादसे पर पड़ी उन्होंने पुलिस को इसकी जानकारी दी। 


सूचना मिलते ही एएसआई रामाशीष यादव ने पुलिस दल के साथ स्पॉट पर पहुंची और इलाज के लिए स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य अस्पताल में भर्ती कराया। रेलकर्मी राकेश कुमार का प्राथमिकता उपचार डॉ. उमाशंकर शर्मा द्वारा किया गया और बेहतर इलाज के लिए उन्हें तुरंत पटना रेफर कर दिया। मंगलवार को उपचार के दौरान ही उन्होंने दम तोड़ दिया।

>> गर्भवती थी पत्नी, जन्म से पहले उठ गया पिता का साया <<

मौत की खबर सुनते ही राकेश की गर्भवती पत्नी व रोते विलखते परिजनो का बूरा हाल था। गांव में शोक की लहर है। मृतक रेलकर्मी के ससुराल डुमरी गांव में भी शोक व्याप्त है। सड़क दुर्घटना का शिकार हुए रेलकर्मी राकेश के घर जहां बच्चे की किलकारी गूंजने वाली थी वहां आज सन्नाटा पसरा हुआ है। जन्म से पहले ही बच्चे के सिर से पिता का साया उठ गया। पत्नी के आंसू रोके नहीं रुक रहे थे।



>> बीते वर्ष ही धूमधाम से हुई थी राकेश की शादी <<
 
रेलकर्मी राकेश की शादी बीते साल शिक्षक राजीव कुमार के पुत्री नीशा के साथ बड़ी धुमधाम से किया गया था। राकेश छठ पर्व में अपने पत्नी से मिलने ससुराल डुमरी गांव आये थे ।  झाझा जाने के लिए एक मात्र मार्ग पर उक्त पुल की खबडैल सड़क और जर्जर पूल से होते हुए अगले दिन राकेश अपने ड्यूटी के लिए रवाना हुए, किसे पता था कि एक मंर्मिक घटना राकेश का इंतजार कर रहा है।



>> गिद्धौर के सेवा गांव का निवासी था राकेश<<

दिवंगत रेलकर्मी राकेश कुमार गिद्धौर प्रखंड के सेवा गांव के रहने वाले थे। सेवा गांव में ये अपने मित्र मंडली के आदर्श रहे। ग्रामीणों ने बताया कि काफ़ी संघर्ष करने पर राकेश को रेलवे की नौकरी मिली। पूरे सेवा गांव में राकेश की छवि मृदुल व सुशील छवि के लिए जाने जाते थे। अपने चेहरे पर सदैव मुस्कुराहट रखने वाले राकेश के जाने से सेवा गाँव भी मर्माहत है।

इनपुट - (मदन शर्मा/सदानन्द पंडित)