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पथरीले रास्तों से होकर 3 किमी दूर से पानी लाते हैं इस गाँव के लोग, 7 निश्चय योजना भी हुई विफ़ल

#पड़ताल

न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा
Input :- राजीव रंजन :- 

प्रारम्भिक चरण की गर्मी में ही पहाड़ी इलाके में रहने वाले आदिवासी एक ओर गर्मी से हलाकान हो रहे हैं, तो वहीं पेयजल संकट ने उनकी परेशानी को दोगुना कर दिया है। हम बात कर रहे हैं झाझा प्रखंड अंतर्गत बलियाडीह पंचायत के वार्ड नंबर 14 भदवरिया गांव की, जहां जल स्तर नीचे चले जाने के कारण आदिवासी इलाकों में मौजूद कुएं सूख गए हैं और जो हैंडपंप मौजूद हैं वह हवा उगलने लगे हैं।


पहाड़ी रास्ते से होते हुए पेयजल लाने के लिए जा रही महिलाओ के दल में से एक महिला कहती है कि - "हम्मर इलाका में पियेल पानी के घोर अभाव छे, अउर कोय सरकारी आदमी के ध्यान यहाँ तक नय आयल, जब सरकार सबके पानी दे रहले त हम सब आदिवासी के काहे नय"
वहीं पेयजल पर अपनी समस्या जाहिर करते हुए वार्ड नं. 14 के निवासी रुबेन मरांडी, अनूप वसके, मीणा टुडू, सबिता मुर्मू आदि बताती हैं कि इस वार्ड के लोगों को इस तपती धूप में 3 किलोमीटर दूर स्थित नारगंजो से अपनी प्यास बुझाने के लिए पीने का पानी लाना पड़ता है। न तो इन्हें नल जल योजना का लाभ मिला है और न ही पानी टैंकर की ही व्यवस्था कराई गई है।


वहीं मौजूद एक वृद्ध सुब्रत किस्कू बताते हैं कि इस चिलचिलाती धूप की तपिश व गर्मी के बीच इस गांव में लगे सरकारी व निजी चापाकल पूर्णतः सूख गए हैं। सैंकडों ग्रामीणों की प्यास बुझाने वाले कुएँ भी प्यासे नजर आ रहे हैं।
बताते चलें कि पंचायत और वार्ड को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सूबे के मुखिया ने सात निश्चय योजना का शुभारंभ तो कर दिया, पर सियासी चकाचौंध के बीच यह योजना जमीनी स्तर पर कुछ और ही हकीकत बयां कर रही है।