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मौरा : घंटों बालू खोदकर पानी निकालते हैं यहाँ के लोग, तब बुझती है प्यास



[न्यूज़ डेस्क | अभिषेक कुमार झा] :-

सुशासन सरकार का ढोल पीटने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के राज में यह कैसा विकास है जहाँ लोग मूलभूत  सुविधाओं से भी वंचित हैं...ऐसे ही तल्ख़ सवाल जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड अंतर्गत मौरा पंचायत वासी अपने अन्दर दफ़न किये हैं| बात विशेषतः मौरा पंचायत की इसलिए क्यूंकि यहाँ के ग्रामीणों को पीने के लिए शुद्ध पानी तक नसीब नहीं हो रहा है|

सोमवार को gidhaur.com की टीम जब मौरा में प्रवाहित बरनार नदी के तट पर पहुँची तो कुछ  महिलायें अपने रोजाना दिनचर्या को पूरा कर पानी लाने के लिए नदी की ओर आती दिखाई पड़ी| कतार में आती इन महिलाओं के पैरों की रफ़्तार काफी तेज थी| स्वाभाविक है, धुप की तपिश में माथे पर पानी का बर्तन लिए सूखी नदी के मध्य में पहुँचते दिखाई पड़ी| इसके बाद घंटो मशक्कत करने पर ये महिलायें बालू खोदकर पानी निकाती हैं| फिर एकत्रित पानी को कुछ समय छोड़ देने के बाद पीने के लिए उसे उपयोगी बर्तन में संग्रहित करते हुए देखी गयीं|



सूखी रेत से पानी निकालने में अपने दिनचर्या का एक तिहाई समय बर्बाद करने वाली मौरा की महिलाएँ अपना दुखड़ा सुनाते हुए बताती हैं कि गाँव में समुचित पेयजल की व्यवस्था न होने के कारण हम महिलायें नदी के जल से ही रोजमर्रा के काम काज कर पाते हैं| वहीँ, मौरा के कुछ बुजुर्ग ग्रामीणों की यदि माने तो उनका कहना है कि कुछ  पानी का लेयर भी नीचे जा रहा है| चापाकल सूख रहे हैं| अब तो सरकार के दावे और वादे भी झूठे लगने लगे हैं| क्यूंकि बिहार सरकार के सात-निश्चय योजनान्तर्गत घर-घर नल लगाने की योजना भी मौरा गाँव के धरातल पर नहीं उतर सका है|

बता दें, पुनर्गठित ग्रामीण जलापूर्ति (जलमिनार सहित) योजना का शिलान्यास पूर्व मंत्री दामोदर रावत द्वारा 03/09/2015 को किया गया था| मौरा के ग्रामीणों में यह उम्मीद जगी थी की अब शुद्ध व स्वच्छ पेयजल नसीब होगी, पर इसे सरकार तंत्र की लापरवाही कहें या मौरा वासियों की बदकिस्मती, शिलान्यास के बाद का काम आगे बढ़ा ही नहीं| लिहाजा संसाधन विहीन ग्रामीणों के पास सूखी नदी से बालू खोदकर पानी निकालना, और उसी पानी से अपनी प्यास बुझाने के आलावे अन्य कोई विकल्प नहीं दिख रहा है|
हालांकि, गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के कुंधुर, केवाल, कोल्हुआ आदि गांवों का भी आलम कुछ ऐसा ही है| गिद्धौर प्रखंड क्षेत्र के इन गाँव के अलावे कई अन्य गाँवों में भी लोगों को घंटो कड़ी मसक्कत करने के बाद पीने का पानी नसीब होता है|
इधर, सरकार की सात-निश्चय में घर घर नल लगाने की योजना का लाभ मौरावासियों को नहीं मिलने से ग्रामीण धधकते आक्रोश को अपने अन्दर दफ़न किये हुए हैं|