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जमुई : मिलिए ऐसे वोटर से, जिसको वोट देते हैं उसका जीतना तय


gidhaur.com | रवि मिश्रा】Edited by- अभिषेक :-

भारत के पहले मतदाता यानी कि सबसे पहला यानि 1952 के चुनाव में वोट करने का तजुर्बा प्राप्त है, जमुई नगर के बिठलपुर वार्ड सख्या 17 के रिटायर्ड एस.बी.आई. कर्मचारी श्री अधिकलाल राजहंस जी को। 

इनकी उम्र इस समय 104 साल है और अपने दोनों आंखों से 30 साल से नेत्रहीन हैं। इनको देश में हुए पहले चुनाव में वोट करने का तमगा प्राप्त है।

[जिसको कर दें वोट उनका जीतना तय माना जाता है] -
ये महज एक इत्तेफाक कहें या चुनावी मौसम को समझने का तज़ुर्बा, आजतक जिस प्रत्याशी को भी इन्होंने अपना मत दिया है उनकी जीत सुनिश्चित हुई है। चाहे बात करें सबसे पहला चुनाव में जवाहर को दिए वोट की या पिछले चुनाव में मोदी का, आजतक इन्होंने जिस प्रत्याशी को अपना मत दिया, उन्होंने जीत का स्वाद चखा है। अब ऐसा होना इत्तेफ़ाक़न हो या इनकी सोच समझ कर वोट डालने का अनुभव।
एक बात और सामने आई है कि आजतक ये किसी चुनाव में अपना योगदान देने से वंचित नहीं रहे हैं चाहे बात लोकसभा की हो या विधानसभा की या फिर ग्रामीण स्तर पर मुखिया चुनाव ही क्यों न हो इन्होंने अपना मत का प्रयोग हर बार किया है। ये याद करते हुए बताते हैं कि आजतक ऐसा कोई मौका नहीं हुआ जब इन्होंने अपने मताधिकार का प्रयोग न किया हो। इसके पीछे का वजह भी बड़ा दिलचस्प रहा है कि आजतक ये जमुई से बाहर जॉब या काम नहीं किये और कभी जमुई से बाहर रहते भी थे तो इलेक्शन में एक पर्व की तरह घर वापस आ ही जाते थे। हालाँकि ये एक बैंक कर्मचारी भी रहे और अभी सेवानिवृत्त हुए। अधिकलाल राजहँस अपने 104 साल के अनुभव में इन्होंने 50 बार से ज्यादा लोकसभा, विधानसभा चुनावों में अपना मताधिकार का प्रयोग किया है और दर्जनों बार पंचायत चुनाव में शिरकत कर एक जागरूक मतदाता होने का मिशाल पेश किया है।


इनकी एक ख़ासियत ये भी है कि ये अंत अंत तक प्रत्याशियों का अवलोकन कर अपना मत का प्रयोग करते हैं शायद यही कारण है कि ये पहले ही आभास कर लेते हैं कि विनिंग कैंडिडेट कौन है और हवा किस पार्टी के पक्ष में बह रही है और यही वजह रही है कि अबतक इन्होंने जिसे भी वोट किया वो पार्टी या उम्मीदवार ने जीत हासिल किया है।

युवाओं के लिए हैं प्रेरणास्रोत, सभी युवाओं को समझाते हैं वोट की कीमत】-

आज इस उम्र में भी ये युवाओं के लिए मिशाल पेश कर रहे हैं साथ ही युवाओं को एक जागरूक मतदाता का उदाहरण पेश कर रहे हैं। इन्होंने आजतक कभी भी मत देने से अपने आपको वंचित नहीं रखा। जिसका मिशाल आज भी युवाओं के लिए है कि लगभग 30 साल से नेत्रहीन होने के बाबजूद भी आज भी हर चुनाव में अपना मत डालने ज़रूर जाते हैं हां ये बात अलग है कि अब किसी दूसरे की मदद या भरोसे ही अपना मत डाल पाते हैं लेकिन वोट देने जाने का इनका ज़िद और ज़ुनून अपने आप में एक प्रेरणा है।जो युवाओं को कहीं न कहीं मताधिकार को प्रेरित करता है।