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बांका में बोले स्वामी संजयानंद, हर घर में हो भागवत पोथी

[धौरैया (बांका) | अरुण कुमार गुप्ता]  Edited by- Abhishek :-

जिस घर में भागवत की पोथी ना हो तो वह घर घर नही चंडाल का आवास है। मनुष्य का कल्याण भागवत कथा के अमृतपान से ही संभव हो सकता है। उक्त बातें मंगलवार को चंदाडीह पंचायत के मलधरा गांव में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन स्वामी संजयानंद जी महाराज ने आये हुए श्रद्धालुओं का कहा।

उन्होंने कहा कि कलयुग का अभी 28 वां चतुर्यूगी चल रहा है, 71वां आते आते यह पृथ्वी पूरी तरह जल मग्न हो जायेगी। इसलिए चिंता छोड़ प्रभु के चिंतन में समय गुजारे। जीवन में सभी काम छोड़कर पहले प्रभु की पूजा करनी चाहिए। उंचे स्वर में भगवान का नाम लेने से बीमारी दूर होती है। 
उन्होंने कथा के दौरान कहा कि 'जब तुझसे न सुलझे तेरे उलझे हुए धंधे। भगवान के इंसाफ पे छोड़ दे बंदे' खुद ही तेरी मुश्किल आसान करेगा , जो तू ना कर पाया वो भगवान करेगा।
भागवत में 18 हजार मंत्र है। 4 वेद, 6 शास्त्र और 17 पुराण मिलाकर जो लाभ मनुष्य को नही मिलता है वह अकेले भागवत मंत्र से मिलता है। सुखदेव जी महाराज की कथा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि एक बार सभी देवता मिलकर महाराज से भागवत कथा सुनने की इच्छा जताई और उसके बदले देवताओं ने महाराज को स्वर्ग का अमृत देने की बात कही। लेकिन सुखदेव महाराज ने कहा कि स्वर्ग का अमृत और भागवत कथा के बीच में कोई तुलना ही नही है। जिसे सुन सभी देवता ब्रहा जी के पास जाकर सारी बातें कही तो ब्रहाजी ने एक तराजू के पलड़े में अमृत का घड़ा एवं सारे ग्रंथ को रखा वहीं दूसरे पलड़े में भागवत की पोथी रखी और भागवत की पोथी वाला पलड़ा झुक गया। और कहा कि भागवत की पोथी कृष्ण का स्वरूप है।
उन्होंने बताया कि कर्म के अनुसार मनुष्य को जन्म मिलता है तब जन्म से मृत्यु तक जीव सुख की तलाश में रहता है। उसे वह सुख केवल भागवत प्रेम से ही प्राप्त होता है। महाराज ने प्रेमाभाव का विस्तार से वर्णन कर समझाया की कलयुग में भगवान का केवल मात्र सुमिरन करने से ही भवसागर को पार किया जा सकता है। 

भागवत कथा सुनने से बदल जाती है जीवन की धारा :-
उन्होंने कहा कि भागवत कथा कराने या सुनने से यह नहीं सोचना चाहिए कि हमें कोई बीमारी नहीं आएगी, हमारा परिवार खुशहाल रहेगा या फिर हमारा व्यापार अच्छा चल जाएगा, यह तो श्रृष्टी का नियम है।जो इस दुनिया में आया है उसे एक दिन जाना ही है जब लाभ होता है तो हानि भी निश्चित होती है। कथा सुनने से जीवन की धारा बदल देता है जिसमें आप ज्ञान और भक्ति की धारा में बहने लगते हैं, लेकिन यहां पर भी बैठे कई लोग पूरी कथा का श्रवण करते है  लेकिन उसका मूल नहीं समझ पाते, जिससे जीवन पर्यंत कथा सुननेे के बाद भी अंत में उनको कुछ भी हासिल नहीं होता है।
कथा का श्रवण मुख्य रूप से यजमान विनय कुमार यादव एवं उसकी धर्मपत्नी गायत्री देवी कर रही थी। वही आयोजन को सफल बनाने मे मुखिया शिवनारायण कापरी,  पंसस गौतम सिंह, समिति के अध्यक्ष महेश्वर राय, रघुनाथ राम, नुकल यादव सहित तमाम ग्रामीण लगे हुए हैं।