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बोले सुभाषचंद्र बोस के प्रपौत्र, जब विमान उड़ा ही नहीं तो कैसे हुई दादाजी की मौत?


सिमुलतला (गणेश कुमार सिंह) :-

आजाद हिंद फौज के सेनापति नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मौत के 75 साल बाद भी संशय बरकरार है। सिमुलतला में स्वामी विवेकानंद के मूर्ति के अनावरण के दौरान अन्या रिसोर्ट सिमुलतला में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सुभाषचंद्र बोस के मौत को लेकर उनके प्रपौत्र सोमनाथ बोस ने एक बार फिर सवाल किए हैं। उन्होंने कहा कि 18 अगस्त 1945 को ताइवान के जिस जहाज की दुर्घटना में नेताजी जी मृत्यु की बात कही जाती है वह प्लेन तो वहां से उड़ा ही नहीं था। यह तारीख ही झूठी है। नेताजी की मौत की जांच के लिए बनाए गए शाहनवाज आयोग ने जो रिपोर्ट बनाई थी वह झूठी थी।

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने मेरे दादा न्यायाधीश सुरेश चंद्र बोस को भारत में ही बैठकर बनाई जाली रिपोर्ट पर हामी भरने को कहा था। जब दादा ने ऐसा करने से मना किया तो उन्हें नेहरूजी  ने लालच भी दिया कि ऐसा करने पर आपको सरकार की ओर से सम्मान व सुविधाएं दी जाएंगी।

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सोमनाथ बोस ने ऐसी कई बातें बताईं जो अभी तक जनता के सामने नहीं आई हैं या फिर जिसे दबा कर रखा गया है। बोस ने बताया कि नेताजी की कथित मौत की जांच के लिए बने शाहनवाज कमीशन में जस्टिस शाहनवाज खान के साथ तीन लोगों में मेरे दादा सुरेश चंद्र बोस भी थे। कमीशन ने ताइवान, कोरिया, जापान, सिंगापुर, वियतनाम, बर्मा समेत कई देशों में जांच के बाद रिपोर्ट तैयार की।

इसमें साफ उल्लेख है कि 18 अगस्त 1945 को जिस विमान में नेताजी की मौत होना बताया जा रहा है वह उड़ा ही नहीं था। इसका उल्लेख मेरे दादा ने डिशेंशिएंट रिपोर्ट नामक किताब में किया है। 2005 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुखर्जी कमीशन बनाया था उसकी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है।

सोमनाथ बोस नमो सेना इंडिया (भारत) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। उन्होंने कहा कि ये पूरे देश की जनता का सवाल है कि नेताजी के लिए किसी भी सरकार ने अब तक कुछ क्यों नहीं किया?
यही नहीं बोस परिवार के लिए उनके पुनर्वास के लिए भी कुछ नहीं किया गया। हमारे परिवार को केवल अपमान मिला। 9 मई 2015 को नमो सेना इंडिया (भारत) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर मेरे दादा की रिपोर्ट की प्रति, नेताजी से जुड़ी फाइलों को देशवासियों के सामने रखने की मांग की थी। इसमें कई फाइलों को उजागर भी किया गया।

बोस ने मांग की कि नेताजी के जीवन के वे क्षण जो उन्होंने आखिरी वक्त में बिताए हैं उसके बारे में केंद्र सरकार को पता लगवाना चाहिए। किसी सेनानी का अपमान व सम्मान सरकार तय नहीं कर सकती। इतिहास को अब तक विकृत रूप में पेश किया गया है उसे सुधारा जाए। देश के स्कूल कोर्स में नेताजी के जीवन में बारे में सही बातें शामिल की जाएं।

» आजाद हिंद फौज के सैनिकों ने किया था लाल किले में समर्पण «

सोमनाथ बोस के अनुसार आजाद हिंद फौज के जिन सैनिकों ने लाल किले में समर्पण किया था . उनका तत्कालीन भारत सरकार ने अपमान किया था। उन्हें युद्धबंदी व स्वतंत्रता सेनानी मानने से इनकार किया। बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया लेकिन उन्हें कोई सम्मान व पद नहीं दिया गया।

[इन सवालों का बोस परिवार को  चाहिए जवाब]

(1). आखिर क्या वजह थी कि नेताजी को देश छोड़कर जाना पड़ा?

(2). बोस ने क्यों बनाई आजाद हिंद फौज ?
आखिर उन्हें देश में ही रहकर संग्राम करने की आजादी क्यों नहीं थी ?

(3). भारत लौटने पर उन्हें मदद क्यों नहीं मिली? जबकि वे इंफाल, कोहिमा व मोइरांग तक पहुंच गए थे।

(4). दिनांक 31 दिसंबर 1945 को उन्होंने अंडमान निकोबार को आजाद कराकर नया राष्ट्र घोषित किया। भारत का झंडा वहां फहराया। अंडमान को शहीद व निकोबार को स्वराज नाम दिया। इसे मान्यता क्यों नहीं दी गई?

(5). देश की आजादी का जश्न 15/8/1947 को मनाया जा रहा था, नेहरू तिरंगा फहरा रहे थे, तब नेताजी कहां थे? तब महात्मा गांधी कहां थे? इसकी वजह सामने लाई जाए।

(6).  15 अगस्त 1947 को जारी पोस्टरों में नेताजी व गांधी जी क्यों नहीं थे?

उक्त छः सवालों पर

उन्होंने बल देते हुए कहा कि अगर किसी के घर से कोई बच्चा या व्यक्ति खो जाता है तो उसे ढूंढने के लिए प्रशासन और सरकार दोनों लग जाते है तो फिर इस देश पुत्र एवं बंगाल के नेता को खोजने के लिये कोई पहल क्यों नही किया गया?


(नोट) :-
यह खबर सिमुलतला के ऐतिहासिक धरती पर सुभाषचंद्र बोस के प्रपौत्र से हुई बातचीत पर आधारित है। इसका उद्देश्य किसी विशेष राजनीतिक पार्टी पर तर्क वितर्क कर भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है। वार्तालाप का यह एक छोटा सा अंश है, जिसका मुख्य उद्देश्य जनता तक उस बात को पहुँचाना है जिससे वे अनभिज्ञ हैं।
- संपादक, gidhaur.com

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