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छठ महापर्व : खरना के बाद शुरू हुआ 36 घंटे का निर्जला उपवास

धर्म एवं आध्यात्म (अनूप नारायण) : 

छठ महापर्व के दूसरे दिन खरना के पूजा के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हुआ I खीर का महाप्रसाद ग्रहण के बाद श्रद्धालु दो दिनों तक भगवान के नमन में लीन हो गए है I  आज कार्तिक शुक्ल षष्ठी को त्रिपुष्कर योग में अस्ताचगामी सूर्य देवता को पहला अर्घ्य दिया जाएगा I  शाम अर्घ्य के शुभ समय संध्या 4:30 बजे से 5:10 बजे तक प्रथम अर्घ्य का समय है I वहीं कल सप्तमी बुधवार 14 नवंबर को छत्र योग में उदीयमान सूर्य को दुघ और जल से अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा I  प्रातः कालीन अर्घ्य का शुभ समय सुबह 6 : 32 बजे से 7:15 बजे तक है I उगते सूर्य को अर्घ्य देकर आयु-आरोग्यता, यश, संपदा का आशीर्वाद लिया जाएगा I

                     कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री ने कहा कि आज कार्तिक शुक्ल षष्ठी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा I इस बार छठ महापर्व ग्रह गोचरों के शुभ संयोग में मनायी जाएगी I यह पर्व पारिवारिक सुख समृद्धि और मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए व्रती पुरे विधि-विधान से छठ का व्रत करती है I इस पर्व को करने से रोग, शोक, भय आदि से मुक्ति मिलती है I छठ व्रत करने की परंपरा ऋग्वैदिक काल से ही चला आ रहा है I भगवान भास्कर को अर्घ्य देने से कई जन्मो के पाप नष्ट होते है I

पंडित झा ने शास्त्रों के हवाले से कहा कि सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति के इस जन्म के साथ किसी भी जन्म किये गए पापो से मुक्ति मिलती है I भगवान सूर्य को सप्तमी तिथि अत्यंत प्रिय है I विष्णु पुराण के अनुसार तिथियों के बंटवारे के समय सूर्य देवता को सप्तमी तिथि प्रदान की गई I इसीलिए उन्हें इस तिथि का स्वामी भी कहा जाता है I देवताओ में सूर्य ऐसे देवता है जिनको प्रत्यक्ष देखा जा सकता है I  सूर्य की शक्ति का मुख्य स्त्रोत उनकी पत्नी उषा और प्रत्युषा है I छठ में सूर्य के साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है I पहले सायंकालीन अर्घ्य में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्युषा) और फिर उदीयमान सूर्य की पहली किरण (उषा) को अर्घ्य देकर नमन किया जाएगा I

सायंकालीन अर्घ्य से शांति, उन्नति

ज्योतिषी राकेश झा के अनुसार शाम को भगवान भास्कर को जल से अर्घ्य देने से मानसिक शांति और जीवन में उन्नति होती है I लाल चंदन, फूल के साथ अर्घ्य से यश की प्राप्ति होती है I कलयुग के प्रत्यक्ष देवता सूर्य को जल में गुड़ मिलाकर अर्घ्य देने से पुत्र और सौभाग्य का वरदान मिलता है I वहीं प्रातःकाल में जल में रक्त चंदन, लाल फूल, इत्र के साथ ताम्रपात्र में आरोग्य के देवता सूर्य को अर्घ्य देने से आयु, विद्या, यश और बल की प्राप्ति होती है I स्थिर एवं महालक्ष्मी की प्राप्ति के लिए सूर्य को दूध का अर्घ्य देना चाहिए I

संतान प्राप्ति के लिए उत्तम है छठ व्रत

पटना के ज्योतिष विद्वान पंडित राकेश झा ने कहा कि लोक आस्था का महा पर्व छठ का व्रत आरोग्य प्राप्ति, सौभाग्य व संतान के लिए रखा जाता है I स्कन्द पुराण के अनुसार राजा प्रियव्रत ने भी यह व्रत किया था I उन्हें कुष्ठ रोग हो गया था, भगवान भास्कर से इस रोग मुक्ति के लिए राजा ने छठ व्रत किया था I स्कन्द पुराण तथा वर्षकृतम में भी इस प्रतिहार षष्ठी की वर्णन है I

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