Breaking News

6/recent/ticker-posts

अस्तित्वहीन होता जा रहा है जमुई का बोधवन तालाब


   [जमुई | रवि मिश्रा]

जमुई का बोधवन तालाब किसी परिचय का मोहताज नहीं है,जिस तालाब के नाम से इस चौक की पहचान मिली,लोगों की जुबां पर रोजमर्रा की ज़िंदगी में इसका नाम बोलता है आज वही तालाब अपने अस्तित्व को खो रही है,सम्भावना है नाम अमर हो जाये लेकिन जिस तालाब के नाम पर इसका नाम बोधवन तालाब चौक पड़ा आज वही तालाब दम तोड़ती नज़र आ रही है।
इतिहास के पन्नों पर इसका नाम सिमट कर रह जायेगी उन पन्नों को खोल कर देखा जाये तो कभी अकाल के समय में गिधौर् महाराज के आदेश पर यह तालाब पशु-पक्षियों के लिए इसे बनवाया गया था।

  क्या कहते हैं 103 वर्षीय बुजुर्ग

103 साल के एक वृद्ध नागरिक से बात करने के क्रम में पता चला की बोधवन मारवाड़ी ने इस तालाब की नींव रखी वो ये भी बताते हैं की ये बात मुझे भी नहीं पता की इसको बनाया कब गया था।इस बात से साफ़ पता चलता है की इस तालाब की उमर 100 साल से भी अधिक है।
उनसे बात करने के क्रम में पता चला की वे अपने समय इस तालाब को एक छोटा नदी,या झील,डेम, या समुद्र समझते थे इसकी गहराई और फैलाव बहुत अधिक थी,नगर के सारे धोबी और स्थानीय नागरिकों का
जल-स्त्रोत का बड़ा साधन था।


  अब क्या है हालात

आज बोधवन तालाब के पास स्थिति ऐसी है की यहाँ 2 मिनट खड़ा रहना मुश्किल लगता है,इसमें स्नान करना या जल लेना तो दूर की बात है,चारों ओर पसरी गंदगी और मूत्रालय,शौचालय का अम्बार पसरा है,अचरज की बात है इसके ठीक पूर्व दिशा से सटे चैती दुर्गा मंदिर है और इसके बगल में ही यज्ञशाला!फिर भी वहां स्थित हर दुकान और घर की गंदगी फेकने की एकमात्र जगह बन गया है,इसे तालाब से ज़्यादा डंपिंग एरिया कह सकते हैं।चारों और से गंदगी का अम्बार लगा रहता है,शौचालय करने की सबसे आसान जगह बन गया है।
धीरे धीरे लोग इसकी  परिधि को सीमित करते जा रहे हैं और तालाब को गंदगी से सराबोर कर रहे हैं।

आँखे है बन्द,नहीं है कोई खेवैया-

इस तालाब के जीर्णोद्धार की ओर अब तक न तो किसी शासन-प्रशासन की निगाह गयी है न ही किसी स्थानीय नागरिक,चैती दुर्गा पूजा समिति या एन.जी.ओ. की।
लोग बड़े बड़े समाज और पर्यावरण सुरक्षा की लम्बी लम्बी फेहरिस्त की बात करते हैं लेकिन इस तालाब पर आँखें तो जाती है खड़े भी होते होंगे मगर सिर्फ हल्का होने,आजतक इस तालाब को लेकर जागरूकता शुन्य दिखाई दी है।


हाथी का दांत साबित होता शौचालय

इस तालाब को लोग शौच और मूत्र से गन्दा न करें इसके लिए नगरपालिका के तरफ से एक शौचालय का निर्माण तो कराया गया लेकिन महज़ कुछ ही दिनों बाद इसके देखरेख में ढिलाई के कारण शौचालय की स्थिति इतनी ख़राब हो गयी की कोई पैर भी न रखे।शौचालय में हमेशा पानी और गंदगी देखी जाती है और लोग चाह के भी इसका इस्तेमाल नहीं कर पाते,मज़बूरन रुख तालाब की ओर ही होता है।
 

अब भी है मौका,नहीं तो खो देगा अपना वज़ूद

मौका अब भी है,अब भी कुछ बाकि है सम्भाला जा सकता है सुधर सकते हैं इसे हालात और हालत, बस ज़रूरत है एक ठोस कदम की।ज़रूरत है इसके जीर्णोद्धार की ज़रुरत है एक कदम स्वच्छता की जिससे इसके वज़ूद को बचाया जा सकता है। इसके लिए एक साथ मिलकर नगरपरिषद,जिला प्रशासन, स्थानीय नागरिक और पूजा समिति को समाने आना होगा उन्हें हाथ बढ़ाना होगा,तालाब को बचाना होगा।जलाशय को फिर से सवांरना होगा। तभी जमुई के इस ऐतिहासिक बोधवन का अस्तित्व सुरक्षित रह पाएगा।