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धोबघट : चार सदी पूर्व यहाँ हुआ था माँ काली के मंदिर का निर्माण, इलाके में हैं विख्यात

धोबघट/गिद्धौर (सुशान्त सिन्हा/अक्षय कुमार सिंह) : महदेवा राज के नाम से विख्यात गिद्धौर राज रियासत के शासक काफी धर्मावलंबी हुआ करते थे। इसका सबूत इस रियासत के अंतर्गत पड़ने वाले क्षेत्रों में आज भी विद्यमान मंदिरों व देवस्थलों के रूप में देखा जा सकता है। वर्तमान में गिद्धौर जमुई जिला का एक प्रखंड है। इसी प्रखंड में उलाई नदी को पार करने पर एक गांव है, जिसका नाम है - धोबघाट।
ग्रामीण बताते हैं कि इस भूखंड का नाम ध्रुवगढ़ हुआ करता था। जो बाद में धोबघट के रूप में अपभ्रंशित हो गया। धोबघट वर्तमान में कोल्हुआ पंचायत का हिस्सा है जो कि गिद्धौर प्रखंड में शामिल है। जबकि यहाँ का पुलिस हेडक्वार्टर खैरा है।
इसी धोबघट ग्राम में एक अति प्राचीन काली मंदिर स्थित है। इस मंदिर को आज से 4 सदी पूर्व, लगभग 1600 ई. में स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से बनाया गया था। उस समय यहाँ माँ काली एक पिंडी के रुप में विराजमान थीं। यहाँ की माँ काली मनोकामना पूर्ति के रूप में आसपास के सभी इलाकों में विख्यात है।
स्थानीय ग्रामीण सभी शुभ-लग्न व धर्मार्थ कार्यों आदि से पूर्व माँ काली के समक्ष पूजा-अर्चना करते हैं। इन्हें लोग ग्राम्य देवी व कुल देवी के रूप में भी पूजते हैं।
वर्ष 2008 में धोबघट गांव में स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया। जिसमें आयोध्या के सिद्ध संत बालक बाबा का यहाँ आगमन हुआ। इस अवसर पर सभी ग्रामीणों की सहमति से उन्होंने माँ काली के इस मंदिर को पुनर्स्थापित किया। तभी माँ काली के पिंडी स्वरुप को हटा कर माँ काली की एक भव्य प्रतिमा इस मंदिर में स्थापित की गई।
इस प्रतिमा की विशेषता यह है कि इसे  बहुमूल्य पत्थरों से बनाया गया है। इसके अलावा माँ काली की इस प्रतिमा में अनोखे रत्न जड़ित स्वर्ण मुकट भी है।
हालाँकि यह मंदिर माँ काली का है लेकिन इसे धोबघट पंचमंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर परिसर में कुल पांच मन्दिर है, जिनमें शक्तिस्वरूपा माँ महादुर्गा; देवाधिदेव भगवान शिव; सृष्टि रचयिता भगवान् ब्रम्हा एवं ज्ञानदायिनी माँ सरस्वती; मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम, जगतजननी माँ सीता, लक्ष्मण; वीर बजरंगबली और राधे-कृष्ण विराजमान हैं। मनोकामना पूर्ण होने के बाद माता के मंदिर में बलिदान भी किया जाता है।
धोबघट निवासी श्री विष्णुदेव सिंह, श्री नगीना सिंह, श्री महावीर सिंह, श्री गुड्डन सिंह, श्री राजेश सिंह, श्री ब्रजेश सिंह, श्री मनोहर सिंह आदि ने बताया कि प्रत्येक वर्ष आषाढ़ महीने में इस मंदिर के वार्षिक पूजा का आयोजन किया जाता है। इसी प्रकार हर वर्ष रामधुन अष्टयाम का आयोजन किया जाता है। जिसमें रात में महाप्रसाद के रूप में खिचड़ी का वितरण किया जाता है।
सभी कार्यक्रम यहाँ के स्थानीय लोग आपसी सहयोग से करते हैं।
इस काली मंदिर, जिसे पंचमंदिर भी कहते हैं, के पंडित वर्तमान में श्री भैरो मिश्र हैं। इनसे पूर्व स्व. विष्णुदेव पंडित यहाँ के पंडित हुआ करते थे।
धोबघट में हुए अष्टयाम का यह विडियो जरुर देखें >>

यह मंदिर क्षेत्रभर के लोगों के धार्मिक आस्था का केंद्र है। अन्य गांवों के लोग भी यहाँ भक्तिभाव से पूजा करने आते हैं।

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