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नेशनल डॉक्टर्स डे पर विशेष : पटना का मसीहा चिकित्सक डॉ. अरुण कुमार तिवारी

Gidhaur.com (पटना) : डॉक्टर को 'धरती का भगवान' कहा जाता है। इस कथन को सही मायने में साबित कर रहे हैं सेवा भावना के लिए नौकरी छोड़ने वाले डॉ. अरुण तिवारी। राजधानी के गुलबीघाट के निकट स्थित इनके क्लीनिक पर मरीजों की लंबी लाइन सुबह चार बजे से ही लग जाती है। पीएमसीएच से नौकरी छोड़ चुके डॉ. तिवारी की नेकनीयती की चर्चा दूर-दूर तक है। उनकी सुझाई दवाइयों से बड़ी-बड़ी बीमारिया पिंड छोड़ देती हैं।

इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद डॉक्टर साहब को कोई गुमान नहीं। उनका मानना है कि शुल्क उतना ही लेना चाहिए, जितने से गुजारा हो जाए। ऐसे में सभी से वह मात्र 50 रुपये ही फीस लेते हैं। गरीबों और असहायों का मुफ्त इलाज वे फर्ज मानते हैं।

1975 से कर रहे मरीजों की सेवा
पीएमसीएच से एमबीबीएस व एमडी की शिक्षा ग्रहण करने वाले डॉ. अरुण तिवारी को 1964 से ही डॉ. शिव नारायण सिंह का सानिध्य मिला। अपने गुरु डॉ. सिंह के मार्गदर्शन में उन्होंने बेहतर कार्य किया। फिर पीएमसीएच में ही वे सीनियर रेजिडेंट के पद पर नियुक्त हुए। वर्ष 1975 में इनका तबादला श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, मुजफ्फरपुर (एसकेएमसीएच) में कर दिया गया। तब उन्होंने पटना में ही रहकर गरीब लोगों की सेवा करने की ठानी और अपनी नौकरी छोड़ दी। तब से अब तक लगातार लोगों की अपनी सेवाएं दे रहे हैं। क्लीनिक में कार्यरत कर्मचारियों के खर्च के लिए मरीजों से मात्र 50 रुपये फीस लेते हैं। इसके बाद भी जरूरतमंदों से कोई शुल्क नहीं लेते। दवा की भी व्यवस्था करा देते हैं।

इन रोगों के इलाज के लिए हैं ख्यात
जनरल फिजीशियन होने के कारण डॉ. तिवारी यूं तो सभी रोगों का इलाज करते हैं, लेकिन क्लीनिक के बाहर सुदूर क्षेत्रों से आने वाले रोगियों व परिजनों के अनुसार डॉ. तिवारी टीबी, पीलिया, हृदय रोग, दमा, अस्थमा आदि के इलाज के लिए प्रख्यात हैं।

मरीज की स्थिति देख जान लेते हैं बीमारी
डॉ. अरुण मरीजों से बातचीत करके उनकी स्थित के बारे में जान लेते हैं। उन्हें इसी से बीमारी की जानकारी हो जाती है। ज्यादा जरूरत महसूस होने पर ही मरीजों को पैथोलॉजिकल जांच करवाने या एक्स-रे की सलाह देते हैं। दवा भी मामूली व सस्ती ही रहती है।

अनूप नारायण
पटना      |       01/07/2018, रविवार

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