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अब तो मज़हब कोई ऐसा बनाया जाए, जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाए

मंसुरचक/बेगुसराय (अनूप नारायण) : बस यही अपराध मैं हरबार करता हूँ,आदमी हूँ आदमी से प्यार करता हूँ...अब तो मज़हब कोई ऐसा भी चलाया जाए,जिसमें इंसान को इंसान बनाया जाय...लिखे जो ख़त तुझे वो तेरी याद में हज़ारों रंग के नज़ारे बन गए...ए भाई ज़रा देख के चल,आगे भी नहीं पीछे भी... जैसे गीतों के रचनाकार एवम देश को साहित्य के क्षेत्र में गौरवान्वित करने वाले अमर गीतकार गोपाल दास नीरज को कलाकारों,साहित्यकारों व संस्कृतिकर्मियों ने सोमवार को प्रखंड क्षेत्र के हवासपुर स्थित मानकी संगीत कला केन्द्र के सभागार में शिद्दत के साथ याद कर उनके प्रति श्रद्धाञ्जलि प्रकट की।बैठक की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के निदेशक अजय अनंत ने स्व.नीरज के सम्मान में प्रति वर्ष उनके नाम पर एक साहित्य के साधकों को केंद्र द्वारा सम्मानित करने की बात कही तो मिथिलांचल के वरिष्ठ साहित्यकार चाँद मुसाफ़िर ने स्व.नीरज के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्हें पदम् भूषण,यश भारती सहित 1970/71/72 में लगातार तीन बार फ़िल्म फेयर के अवॉर्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
मौके पर उपस्थित बिहार सिने आर्टिस्ट एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष सह चर्चित बॉलीवुड अभिनेता अमिय कश्यप ने उनके निधन को देश के साहित्यिक क्षेत्र में एक युग का अंत बताते हुए उनके कई गीतों को गुनगुनाकर उनके प्रति श्रध्धांजली व्यक्त की।उक्त अवसर पर उच्च विद्यालय मंसुरचक के पूर्व शिक्षक बासुकी नाथ सिंह,पूर्व प्रधान सह कवि राम सेवक महतों,युवा सामाजिक कार्यकर्ता राजीव कुमार,राष्ट्रकवि दिनकर फिल्मसिटी के कार्यकारी निर्माता राकेश कुमार महंथ,रातगांव पंचायत के उप मुखिया अजय कुमार सिंह,शिक्षक रंजय कुमार,निरंजन कुमार पासवान,प्रमोद चौधरी,रंजीत गुप्त,पंकज पराशर सहित दर्ज़नों लोग उपस्थित थे।कवि व साहित्यकार राम सेवक महतों को प्रथम गोपाल दास नीरज साहित्य सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया।