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उभरते नायक और गायक के तौर पर पहचान बना रहे हैं चिन्तामणि सिंह


Gidhaur.com:(व्यक्तित्व):- दिल में और कुछ कुछ कर गुजरने का हौसला हो तो इंसान तमाम बाधाओं के बावजूद अपनी मंजिल को प्राप्त कर ही लेता है! इस कहावत को वास्तविकता के धरातल पर अक्षर से सत्य सिद्ध कर दिखाया है,सिवान जिले के महम्मदपुर गाँव के लाल चिन्तामणी सिंह जिनकी पहचान भोजपुरी के उभरते नायक और गायक के तौर पर है| चिन्तामणी सिंह एक बेहतर इंसान हैं तथा भोजपुरी के प्रचार प्रसार के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं|

चिन्तामणी सिंह का सब से पहले कृष्ण भजन से शुरुआत की एल्बम का नाम ' नटखट मुरलिया कान्हा के'  आया था, दूसरा गाना लोक गीत ' हमारे से रहलु प्यार' उसके बाद गम का अल्बम आया था 'ऐ खुदा' देवी गीत, लोग गीत, अनेको अल्बम और गाने आये है|
भोजपुरी गीत संगीत और फिल्मों में फैले अश्लीलता के सवाल पर चिन्तामणी सिंह कहते हैं कि इसके लिए किसी एक व्यक्ति को दोषी नहीं ठहराया जा सकता! श्रोता और दर्शक अगर गंदे गानों को सुनना बंद कर देंगे तो गायकों को और कैसेट कंपनियों की मजबूरी होगी कि साफ सुथरे   एल्बम ही बाजार में उतारे जाए|भोजपुरी सिनेमा को लेकर उनका कहना है कि भोजपुरी सिनेमा अभी अपने शुरुआती दौर में है।
भोजपुरी फिल्मों की बेहतरी के लिए चिन्तामणी सिंह कहते हैं कि भोजपुरी फिल्मों से दूर हो चुके दर्शकों को सिनेमाघरों में वापस लाने की व्यवस्था होनी चाहिए| उन्होंने कहा कि जो कुछ भोजपुरी सिनेमा उद्योग में इन दिनों हो रहा है यह सब पब्लिसिटी स्टंट है| यह सबको पता है कि किस की क्या हैसियत है सबसे बड़ी हैसियत भोजपुरी के  दर्शकों की है,वह चाहे तो किसी को भी स्टार और सुपरस्टार बना सकते हैं| वैसे अच्छे कलाकारों की भी भोजपुरी इंडस्ट्री में कमी नहीं! अपने पसंदीदा कलाकार के बारे में पूछे जाने पर चिन्तामणी सिंह ने बताया कि सभी उनके पसंदीदा है किसी खास से उनका लगाव नही है|भोजपुरी मिट्टी से जन्में हैं तो माटी के लिये कुछ करते है, सभी लोग उनको चाहते हैं और इसी कारण से वह सभी लोगों का प्रमोशन करते हैं|
चिन्तामणी सिंह का कहना है की उत्तर प्रदेश और झारखंड जैसे राज्यो में सब्सिडी मिल रही है अगर बिहार में भी सब्सिडी मिलने लगे तो भोजपुरी फिल्में और हिन्दी फिल्में बिहार शूट होने लगेगी और बिहार के काफी लोगों को फ़िल्म से बहुत बड़ा रोजगार मिलेगा| आप को बता दे की उत्तर प्रदेश और झारखंड में सब भोजपुरी की ही लोग हैं जो की शूटिंग करते हैं,बिहार में सब्सिडी ना मिलने के कारण सभी लोग झारखंड और उत्तर प्रदेश में शूटिंग करने के लिए मजबूर हैं| हमारा बिहार ना ही उत्तर प्रदेश से कम है और ना ही झारखंड से कम है,हमारे बिहार में जो बहार है और ना ही उत्तर प्रदेश में है और ना ही झारखंड में है सरकार को  सब्सिडी के बारे में भी सोचना चाहिए|

अनूप नारायण
पटना
03.07.2018