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बांका : इस गांव में हस्तकला से होता है सुरक्षा गार्ड्स के बैच का निर्माण

[gidhaur.com | धोरैया(बांका)] :-  जिला के धोरैया प्रखंड अन्तर्गत कुर्मा गांव जहां हस्त कला से निर्मित बैच तैयार होकर सात समुद्र पार तक पहुंचता है। इनके कला के आगे सरहद की सारी दीवारें टूट जाती है।
इस गांव में अपने देश के साथ साथ, अमेरिका, जपान, इराक, सिरिया, श्रीलंका, चीन, रूस आदि देशों के निजी सुरक्षा गार्डों के लिए बैच तैयार किया जाता है।
मुस्लिम समुदाय के शेख जाति के इन होनहार युवाओं को कम आमदनी होने के बाबजूद इस बात का गर्व है कि उनकी कारगरी सात समुंदर पार विदेशों में पहुंचती है।
कारीगरों के नेतृत्व कर्ता मो० इसराफिल बताते हैं कि यह कार्य उनके लिए दोनों प्रकार का सुकून देता है। एक तो आर्थिक लाभ दूसरा कला की सोहरत। उन्होंने बताया अभी श्रीलंका के आरएल कंपनी के लिये बैच बनाया जा रहा है। श्रीलंका की आरएल कंपनी को यह बैच दिल्ली के एक बड़े संवेदक धवन के माध्यम से विदेशों में पहुचती है। बैच पे कारीगर अलग अलग देशों के नाम भी यहीं पर लिख देते है। हर देश के अलग अलग कंपनियों का अलग अलग माॅनोग्राम होता है।
उन्होंने बताया कि यह कार्य कई गांवों में किया जाता है वहीं प्रत्येक सप्ताह इस क्षेत्र से पांच हजार बैच तैयार कर दिल्ली भेजा जाता है। वहां से संवेदक के जरिये अन्य देशों में पहुचाया जाता है।
उन्होंने बताया कि स्थानीय बाजार में कच्चा माल उपलब्ध नही रहने के कारण संवेदक द्वारा ही दिल्ली से ट्रान्सपोर्ट के जरिये हमलोगों तक पहुचता है।
कुर्मा गांव निवासी सह कारीगर अब्दूल रज्जाक, सहादत हुसैन, शाहजहाँ आलम, जुनैद आलम, मो० फिरदोस ने बताया कि बनाये गये एक बैच की लागत दस रूप्या पड़ता है, वहीं संवेदक द्वारा कारीगर को एक बैच का 60 से 80 रूप्या दिया जाता है, वहीं विदेशों में एक बैच की कीमत लागत से कई गुना ज्यादा होती है, वहीं बनाये गये बैच का अधिक मुनाफा वायर को मिल जाता है।
एक कारीगर दिन भर में 5 से 6 बैच तैयार कर लेता है।
इस हिसाब से औसतन वे लोग एक दिन में चार सौ रूपये और महीने में 10 से 12 हजार रूपये कमाकर घर बैठे इस रोजगार से कारीगर खुश हैं।

जिलाधिकारी के निर्देश पर कुछ दिन पूर्व बीडीओ गुरूदेव प्रसाद गुप्ता ने कुर्मा गांव पहुंच कर बैच बना रहे कारीगरों से मिल कर उनकी स्थिती का जायजा लिया । जाचोंपरांत बीडीओ ने जिलाधिकारी कुन्दन कुमार को बैच बना रहे कारीगरों की स्थिती एवं बैच का सेम्पल भेजा था लेकिन अबतक कारीगरों को इसका लाभ मिलता नही दिख रहा है।
इस संदंर्भ में पूछने पर बीडीओ ने कहा अगर इस तरह का रोजगार अपने क्षेत्र में हो रहा है तो वाकई प्रशंसनीय है, अगर इससे जुड़े लोग ऋण चाहेगें तो वे इस संदर्भ में हर उचित कदम उठायेगें।

(अरूण कुमार गुप्ता)
बांका  |  17/06/2018, रविवार
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