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मिलिए बिहार की खूबसूरत स्टार एंकर रूपम किशोर से

Gidhaur.com (मनोरंजन) : “लहरो से डर कर नौका पार नही होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती”। चाहे मंज़िल कितनी भी दूर क्यों न हो, रास्ते चाहे कितने भी मुश्किल क्यों न हो, जो कुछ करने की ठान लेते हैं वो किसी भी हाल में अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं। और ऐसी ही एक उदाहरण हैं इ टी वी बिहार की स्टार एंकर और गोल्डफिश इवेंट एंड मीडिया की मालकिन रूपम किशोर जी।
रूपम आज एक ऐसे मुकाम पे पहुँच चुकी है जहाँ उन्हें किसी पहचान की जरुरत नही है। लेकिन यहाँ तक का सफर उनके लिए आसान नही था।
बिहार के भागलपुर की रूपम की शूरू से ही गीत संगीत में  रूचि थी। पिताजी थाना प्रभारी होने के बावजूद बेटी के अंदर की प्रतिभा की कद्र करते थे और और उनके सपने को समझते थे। गांव में उनके लायक कोई अच्छा संगीत विद्यालय नहीं था। इसलिए पिता ने अपना तबादला पटना करवाने की सोची । उस वक़्त पटना एक मात्र ऐसा शहर था जहाँ रूपम को संगीत की तालीम मिल सकती थी। लेकिन पिता के इस प्रयास पर उस समय पानी फिर गया जब उनके उच्च अधिकारी ने उनके तबादले का आवेदन खारिज़ कर दिया। पर वो कहते है ना, “जहाँ चाह वहाँ राह”।जिन अधिकारी ने आवेदन खारिज़ किया उन्होंने ही खुद तबादले के कागजात पे दस्तखत किये। ये करिश्मा तब हुआ जब उन्होंने  राष्ट्रगीत “वंदे मातरम” रूपम की आवाज़ में सुना। उन्होंने भी उनकी कला को समझा और उस वक़्त की जरुरत को पूरा किया।
6-7 साल की उम्र में रूपम ने संगम कला ग्रुप  से जुड़ीं और  एक चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में कई नृत्य संगीत प्रतियोगिताओ में हिस्सा लिया।रूपम आल इंडिया रेडिओ  से ग़ज़ल में पास्ड आउट हैं। 2005 में इन्होंने ईटीवी बिहार ज्वाइन किया और डांस मल्टीशो में नेशनल लेवल की विजेता बनी। इसके बाद इन्हें एक बाद एक कई हिट शोज में काम किया। इन्होंने बाल धमाल, मिसेज़ भाग्यशाली,फ़नकार, स्कूल डेज, फोक जलवा, रंग बरसे, रंग भोजपुरिया जैसे चर्चित शोज में बतौर एंकर काम किया है। साथ ही इन्हें कई नामचीन सितारो जैसे लता जी, पंडित चुन्नूलाल मिश्रा, मनोज तिवारी, शारदा सिन्हा, रवि किशन, कुणाल गांजावाला,कल्पना इत्यादि के साथ काम करने के कई मौके मिले है।
आज रूपम जिस मुकाम पर हैं वहाँ तक पहुँच के लोग अपने और बस अपने काम पे ध्यान देते हैं। ऐसे में रूपम उन लोगों में से है जो अपनी कम्पनी के साथ पटना प्रदेश और  बिहार के लिए कुछ करना चाहती है। यही कारण है कि कई मौके मिलने के बाद भी उन्होंने कभी पटना नही छोड़ा। रूपम आज “नीलांजना” के नाम से एक अकादमी चला रही हैं जहाँ पेंटिंग, डांसिंग और सिंगिंग सिखाई जाती है।
एक पत्नी और एक माँ होते हुए भी वे घर और ऑफिस कैसे मैनेज करती हैं? इस सवाल के जवाब में रूपम कहती हैं की अगर लाइफ रूटीन में हो तो हर चीज़ अच्छे से मैनेज हो जाती है।
अपनी सफलता का सारा श्रेय वे अपने पति और परिवार को देती हैं। प्रतिभा होने के बावजूद उन्हें खुद कई बार मंच नही मिला। रूपम चाहती हैं कि जो उनके साथ हुआ वो किसी और के साथ ना हो। इसलिए हर प्रतिभाशाली को उसके हिस्से का मौका दिलवाना ही उनकी जिंदगी का मकसद है।
अनूप नारायण
पटना      |      21/06/2018, गुरुवार

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