Breaking News

6/recent/ticker-posts

40 हजार छात्रों को कॉमर्स पढ़ा चुके हैं सुनिल कुमार


Gidhaur.Com (पटना) :इंसान अपनी असमर्थता का रोना रोते हुए उम्र काट देता है जबकि कुछ लोग अपने हौसले के बल पर सफलता की ऊंची उड़ान पर होते हैं और वही लोग बनते हैं दूसरे के लिए प्रेरणा स्रोत आज हम एक ऐसे ही युवा की कहानी बताने जा रहे हैं जिसने खुद की बदौलत अपनी मंजिल तय की है साथ ही हजारों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बने हैं।
बिहार की राजधानी पटना में 22 सितंबर 2001 को जेनिथ कॉमर्स एकेडमी के नाम से मां भगवती कॉम्पलेक्स बोरिंग रोड चौराहा के पास अपने संस्थान की शुरुआत करने वाले सुनील कुमार सिंह आज की तारीख में बिहार में कॉमर्स शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम और ब्रांड बन चुके हैं इनके संस्थान में आई कम .बी कम ,एम कम,  बीबीए वह MBA की कोचिंग प्रदान की जाती है विगत 17 वर्षों में 40000 से ज्यादा छात्रों को यह पढ़ा चुके है जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है

मूल रूप से बिहार के मधेपुरा जिले के आलमनगर निवासी सुनील का जन्म झारखंड के हजारीबाग के  में हुआ था जहां इनके पिता स्वर्गीय श्री ललितेश्वर सिंह कोल इंडिया में कार्यरत थे अपने बड़े भाई अनिल कुमार सिंह को अपना आदर्श मानने वाले सुनील कहते हैं कि उनके संस्थान से लगभग 1500 सौ से ज्यादा बच्चे देश के सभी प्राइवेट और सरकारी बैंकों में उच्च पदों पर आसीन हैं यही उनका सबसे बड़ा ईनाम है गरीब और असहाय बच्चों को उनके संस्थान में निशुल्क कोचिंग की सुविधा प्रदान की जाती है एक शिक्षक के साथ-साथ सुनिल एक सुलझे हुए और बेहतर इंसान हैं सामाजिक गतिविधियों में भी इनकी सहभागीता बढ़-चढ़कर होती है

बिहार में महिला क्रिकेट को प्रमोट करने में इनका बड़ा योगदान है बतौर आयोजक और प्रायोजक बिहार में क्रिकेट और क्रिकेटरों  के लिए विगत एक दशक से लगे हुए हैं इतना ही नहीं खुद के हौसले के बल पर बाढ़ प्रभावित पिछड़े मधेपुरा जिला के आलमनगर में इन्होंने आलमनगर महोत्सव की भी शुरुआत की है जिससे राज्य और राष्ट्र के मानचित्र पर आलमनगर की बदहाली और यहां की ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति सत्ता और शासन का ध्यान गया है सुनील कहते हैं कि एक शिक्षक समाज को जागृत ही नहीं बनाता बल्कि समाज को आर्थिक क्रियाकलापों से भी जोड़ता है जीवन में कई उतार-चढ़ाव देख चुके सुनील की पत्नी रूपम सिंह सरकारी शिक्षिका है इनके गतिविधियों में उनकी भी सहभागीता बढ़-चढ़कर होती है एक पुत्र और एक पुत्री के पिता सुनिल पटना में समय-समय पर सांस्कृतिक समारोह का आयोजन भी करते हैं जिसमें गुमनामी के साए में चले गए कलाकारों को मंच प्रदान कर उन्हें आर्थिक रूप से भी प्रोत्साहित किया जाता है दर्जनभर से ज्यादा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मानों से सम्मानित किए जा चुके सुनील कुमार आज की तारीख में बिहार में कर्मस शिक्षा के आइकॉन बन चुके हैं।

(अनूप नारायण)
 पटना     |     11-04-2018 बुधवार

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ