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जमुई : सदर अस्पताल में विफल हुआ निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का उद्देश्य

 [gidhaur.com | अभिषेक कुमार झा] :- एक ओर जहां सरकार यह दावा करती है कि सरकारी अस्पतालों में आने वाले मरीजों को सारी दवाई मुफ्त में मिलेगी वहीं इसके दूसरी ओर सरजमीन पर अस्पताल कर्मचारियों की लापरवाही और मनमानी के कारण सरकार के दावे खोखली साबित हो रही है।
बात हो रही है जमुई सदर अस्पताल की जहां कभी- कभार नहीं, बल्कि आये दिन इस तरह का मंजर यहां देखने को मिलता है।
जहां तक सदर अस्पताल के डाॅक्टरों की ड्यूटी  की बात है तो यहां  डाॅक्टर कब आते हैं और कब जाते है यह सिर्फ कागजात पर ज्यादातर नजर आयेगा बांकि सरजमीन पर इसकी हकीकत कुछ और ही है।
डाॅक्टरों के ससमय उपस्थिति मे अनियमितता के कारण इमरजेंसी वार्ड में आने वाली महिला मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।

यहां का आलम यह है कि पुरुष चिकित्सक हो या महिला चिकित्सक 10:00 बजे के बाद ही अस्पताल में उपस्थित होते हैं जिसके कारण मरीज का भीड़ लग जाता है। अपने नाम की गोपनीयता बनाए रखते हुए  अस्पताल के एक कर्मचारी ने बताया कि चिकित्सक अपने निजी क्लीनिक पर प्रेक्टिस करते रहते हैं जब सदर अस्पताल में भीड़ बहुत ज्यादा हो जाता है तब डॉक्टर आते हैं यहां तक की अस्पताल में महिला मरीजों से ब्लड जांच के नाम पर एवं सर्जरी के नाम पर पैसा लेते हैं जिसका कोई रसीद नहीं देता है रसीद मांगने पर अस्पताल के स्टाफ बताता है कि यह तो सरकारी रेट है जबकि सदर अस्पताल में निशुल्क जांच निशुल्क सर्जरी, निःशुल्क प्रसव किये जाने का प्रावधान है।
इस तरह का मंजर यहां लगभग रोज देखने को मिलते रहता है। इस तरह की व्यवस्था में यही सवाल पैदा होता है कि क्या जमुई सदर अस्पताल गरीब लाचार मरीजों के शोषण का केन्द्र बनता जा रहा है? क्या गरीब मरीजों की बेबसी लाचारी को ताक पर रख सेवा भावना को भुल कर अस्पताल प्रशासन अस्पताल में अवैध शुल्क का खेल खेल रहे है।

बता दें कि जमुई के सदर अस्पताल में प्रति दिन मरीजों का जमावड़ा लगा रहता है। जिनमें से अधिकतर प्रसूता रोगी शामिल हैं। अधिकतर प्रसूता रोगी ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं।
पर  जहां हरेक स्टेप में बिना रसीद के अवैध शुल्क लग रहा हो इस तरह के व्यवस्था ने सदर अस्पताल के निःशुल्क सेवा के दावों से पर्दा उठा दिया है।जिससे निःशुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का उद्देश्य सदर अस्पताल में विफल होता दिख रहा है।
इस मामले को लेकर बात जब अस्पताल के सिविल सर्जन तक आती है मामले की जांच करने आश्वासन देकर वो अपना पल्ला झाड लेते हैं।
खबर से अवगत करते चलें कि स्थानीय मरीजों का शोषण केन्द्र बनने से सरकार के स्वास्थ्य सेवा के दावों पर जमुई सदर अस्पताल ने सवालिया निशान लगा दिया है।
 
(News Desk) 13/3/2018,मंगलवार 

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