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बटिया का दहियारी पंचायत, आदर्श ग्राम का तमगा तो मिला, लेकिन नहीं हुआ विकास

Gidhaur.com (सोनो) : जमुई सांसद चिराग पासवान के द्वारा आदर्श पंचायत के रूप में गोद लिए गए दहियारी पंचायत के लोगों को आज भी कोई ठोस सुविधा नहीं मिली है। पंचायत अंतर्गत खैरालेवाड़ गांव के मुसहरी टोला में सेंकड़ों लोग निवास करते हैं, लेकिन आजादी के 70 वर्ष गुजर जाने के उपरांत भी इन्हे बुनियादी सुविधा से वंचित रखा गया है।

नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद उनके द्वारा सभी सांसदों को यह आदेश दिया गया था कि सभी सांसद अपने जिले के एक पंचायत को आदर्श बनावें। जिस पर जमुई सांसद चिराग पासवान द्वारा जमुई जिले के दहियारी पंचायत को चुना गया। परंतु 4 वर्ष गुजरने को है, इस पंचायत को आदर्श कहलाने का हक तो दिया गया लेकिन इस पंचायत में जमीनी स्तर पर कोई विकास का कार्य नजर नहीं आता।

दहियारी पंचायत को आदर्श ग्राम के रूप में सांसद के द्वारा गोद लिए जाने के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी शशिकांत तिवारी के द्वारा बटिया बाजार स्थित वन विभाग डाकबंगला के परिसर में कर्इ बार कैबिनेट बैठक के रुप में पूरे जमुई जिला के पदाधिकारियों के साथ बैठक कर पंचायत को चमन बनाने का सपना दिखाते हुए यह कहा था कि आदर्श पंचायत दहियारी पुरे जमुई जिले के पंचायतों में नंबर वन का पंचायत होगा।
बैठक के बाद यहां के लोगों को पुरी तरह  विश्वास हो गया था कि अब दहियारी पंचायत के लोग बुनियादी सुविधाओं से वंचित नहीं रहेंगे। परंतु आदर्श पंचायत कहा जाने वाला दहियारी पंचायत अंतर्गत खेरालेवाड़ मुसहरी टोला के लोग आज भी गंदगी युक्त पानी पीने को विवश हैं। इस गांव में ना तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है और ना ही शौचालय की।

बच्चों को शिक्षा ग्रहण करने के लिए न तो सरकारी विद्यालय हैं और ना ही स्वास्थ्य की व्यवस्था। यहां तक कि इस गांव में जाने के लिए एक मात्र पगडंडी का ही सहारा है। इसके अलावा 60 वर्ष से ऊपर के महिलाओं को वृद्धावस्था पेंशन की राशि भी मुहैया नहीं कराई जा रही है। वर्ष 1992-93 में इस गांव में कई लोगों का इंदिरा आवास निर्माण कराया गया था जो अब पुरी तरह छतिग्रस्त हो चुका है।

गांव की कई बुजुर्ग महिलाओं ने बताया कि हमारे घर के लोग रोजमर्रा की भांति मेहनत-मजदुरी कर बाल बच्चों का भरण पोषण करते हैं। उन्होंने बताया कि बरसात के मौसम में हम सभी लोगों को कठिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ता है। कई लोग यहाँ किसी प्रकार फूस-पत्तों की झोपड़ी बनाकर रहते हैं। जिस कारण बरसात के मौसम में पानी से बचने के लिए कोई साधन नहीं है।
यहाँ बारिश के दिनों में लोगों को अपने बाल बच्चों के साथ प्लास्टिक का सहारा लेते हुए  प्लास्टिक के अंदर छुपकर समय बिताना पड़ता है। पेयजल को लेकर पूछे जाने पर बताया गया कि गांव के मध्य भाग में एक काफी पुराना कुआं है जो छतिग्रस्त हो गया है। इसके किनारे की मिट्टी के धंस जाने से कुआँ आधा से अधिक भर गया है। साथ ही इसके भीतर झाड़ियाँ भी भर गई है। उक्त कुँए में मात्र एक या दो फीट पानी रहने से इसमें कीटाणु भर गया है। परंतु आस पास कहीं भी शुद्ध पेयजल की व्यवस्था नहीं रहने के कारण ग्रामवासी इस कीटाणु युक्त पानी को ही कपड़े से छानकर प्रयोग करते हैं।

अब जबकि सांसद आदर्श पंचायत के गोद लिए 4 वर्ष गुजरने को है तब सांसद के लोगों द्वारा यह कहते हुए सुना जा रहा है कि सांसद के द्वारा सिर्फ बटिया गांव को गोद लिया गया है, पूरे पंचायत को नहीं। बताते चलें कि बटिया बाजार में विख्यात बाबा झुमराज स्थान नामक एक मंदिर है जहां पर आये दिन हजारों श्रद्धालुओं का आगमन होता है।

लेकिन यहाँ आने वाले इन श्रद्धालुओं के लिए मंदिर के समीप ना तो शुद्ध पेयजल की व्यवस्था है और ना ही शौचालय की। इसके अलावा परिसर में रौशनी और सफाई की भी व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं मंदिर की ओर जाने वाली सड़क भी पूरी तरह क्षतिग्रस्त है। ऐसे में यहां पर बुनियादी सुविधाओं का भी घोर अभाव है। इतनी परेशानियों के बावजूद भी लोग यह सोचकर खुश हो लेते हैं कि कम से कम आदर्श गांव होने का तमगा तो मिला।

चन्द्रदेव बरनवाल
सोनो      |      17/03/2018, शनिवार

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