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शिक्षा सुधार अभियान से शिक्षा सशक्तिकरण की शुरुआत करनेवाली मधु मंजरी

Gidhaur.com (विशेष) : आज समाज मे हर तरफ नारी सशक्तिकरण के लिये अनेको प्रयास किया जा रहा है। प्रख्यात समाज सेविका मधु मंजरी का मानना है जब तक उचित शिक्षा का पूर्ण अधिकार और सुविधाये महिलाओ को नही मिलेंगी तब तक महिला सशक्तिकरण का प्रयास अधूरी दिशा मे जाता रहेगा।
एक मशहूर कथन "अगर आप एक पुरुष को शिक्षित करते है तो सिर्फ एक को शिक्षित कर रहे है किन्तु जब एक महिला को शिक्षित करते है तो पूरे परिवार को शिक्षित करते है" को अपनी प्रेरणा मानते हुये मधु मंजरी विशेष रूप से महिला शिक्षा सुधार का अभियान शुरू कर चुकी है।
अपनी दिनचर्या का अधिक समय मे ऐसे जगहों पर जाती है जहाँ वो समाज के अव्यवस्थित तबके के साथ जुड़कर शिक्षा व्यवस्था मे परिवर्तन करते हुये शिक्षा का मौलिक अधिकार जरूरतमंद को पहुँचा सके।
मधु मंजरी मानती है अज्ञानता से अपनी शक्ति ही क्षिण होती है। अगर शिक्षा से सही समय पर लोगो को जोड़े तो वही लोग भविष्य मे  विकसित समाज के लिये अग्रणी भूमिका निभायेंगे ।

मधु मंजरी बचपन से अलग सोच से अपने कार्यो को करती रही है। परिवार मे आर्थिक सम्पन्नता होने वावजूद वर्षो पहले महिलाओ के कौशल विकास पर कार्य करना शुरू कर दिया। शादी के बाद बहुत जल्दी पारिवारिक जिम्मेदारी बढ़ जाने पर भी उनहोने स्वयँ को समाजिक कार्यो से जोड़े रखा। लेकिन इसमे सबसे अहम भूमिका उनके हमसफ़र सी एल मेहता ने निभाई और प्रोत्साहन दिया की वो लगातार समाज सेवा करती रहे।
मधु मंजरी समाज के साथ साथ अपने परिवार के लिये भी बहुत बड़ी प्रेरणा है। इसका एक बेहतरीन उदाहरण तब देखने को मिलता है। उनके पुत्र शौमील श्री खुद लोकप्रिय युवा अभिनेता है वो जब पटना आते हैं तो मनोरंजक कार्यक्रमो को ना करते हुये अपनी माँ के साथ उनके समाजिक कार्यक्रमो मे आगे बढ़कर उनके कदम से कदम मिलाकर चलते है।

सामाजिक कार्यो मे आत्मनिर्भरता के लिये मधु मंजरी ने एक सेवा संगठन शिवि फाउंडेशन को शुरू किया है। धीरे-धीरे आज इस संस्था ने 900 गरीब बच्चो की पूर्ण शिक्षा की जिम्मेदारी लिया।
उनकी शिक्षा और अन्य जरुरतो का खुद से देख रेख करती है। उनके निरंतर सेवा भाव का असर है कि आज समाज का हरेक वर्ग उनसे लगातार जुड़ता जा रहा है। विशेषकर कम उम्र के युवा भी समाज सेवा जैसे जटिल कार्य को आगे बढ़कर हिस्सा ले रहे है।

मधु मंजरी युवाओ को सिर्फ समाज सेवा के लिये दिशा दिखाती है और पूरा युवा वर्ग उनके साथ खड़ा हो जाता है। उनके अन्य मुद्दो जैसे भोजन की बर्बादी के खिलाफ अभियान "उतना ही लो थाली मे जो व्यर्थ ना जाये नाली मे" पर भी युवा वर्ग अपनी सहमति दे चुका है एवं उसका अनुसरण भी करता है।
इतिहास के पन्नो मे खो चुके महानायकों और प्रेरणाओं को, जिसको आज के युवा बिल्कुल भूल चुके है, उनकी जयँती बड़े पैमाने पर मनाने की वजह से युवाओ मे वो आदर्श बन रहे है।
अपनी दूरदर्शी विचारो के साथ पूर्ण समर्पित कार्यशैली मधु मंजरी को भीड़ से अलग एक आदर्श समाज सेविका बनाती है।

अनूप नारायण
पटना
     |      15/03/2018, गुरुवार

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