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रजौन : बिना किसी प्रशिक्षण के पपीता की खेती कर प्रेरणास्रोत बने कुमोद चन्द्र

Gidhaur.com (विशेष) : खेती से जिन्दगी संवारने की सोच कुमोद चन्द्र झा की सही निकली। उन्होंने अपने दो बीघा खेत में पपीता की खेती की है। अप्रैल में लगा पौधा चार माह बाद ही पेड़ बनकर फल देने लगा है। कुमोद की सोच है कि अगर सबकुछ सही हुआ तो अगले साल पांच एकड़ से अधिक खेतों में पपीता की खेती करेंगे। नवगछिया के किसान उमेश मंडल से प्रेरणा लेकर वे आगे बढ़े है।
हम बात कर रहें है कि रजौन प्रखंड के ओड़हारा निवासी कुमोद की। बोकारो स्टील प्लांट से सहायक लेखापाल पद से वर्ष 2003 में रिटायर होने के बाद वे धान गेहूं की खेती करने लगे। श्रीविधि सहित अन्य प्रकार से खेती करने के बाद भी उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। इसके बाद कुमोद कृषि विश्वविद्यालय सबौर से जानकारी लेनी चाही। लेकिन उन्हें वहां कुछ विशेष लाभ नहीं हुआ। एक अधिकारी ने नवगछिया के किसान उमेश मंडल से संपर्क करने को कहा। इसके बाद उमेश के बताये मार्ग पर कुमोद चल पड़े।
शुरुआती दौर में उन्होंने सात सौ से अधिक पेड़ लगाये थे, लेकिन तकनीकी रुप से जानकारी के अभाव में दो सौ से अधिक पेड़ सूख गये। लगभग पांच सौ पेड़ बचे हैं। इसमें रेड लेडी, भीएनसार एवं सुभरना किस्म के पेड़ लगे हैं। इसमें सबसे अधिक लाभकारी रेड लेडी पेड़ है। कुमोद के अनुसार एक पेड़ में लगभग पांच सौ रुपये मूल्य के पपीता होने की संभावना है। पपीता पकना भी शुरु हो गया है। यह सरकारी विभाग के लिए तमाचा भी है। जहां बिना प्रशिक्षण कुमोद ने पपीते की खेती कर बेरोजगार युवकों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गये है। पपीते की खेती लाभकारी है। इस में उनके एमबीए किए पुत्र ओंकार झा का भी साथ मिल रहा है। अगले साल से लगभग पांच एकड़ में पपीते की खेती करने का लक्ष्य है।

(अनूप नारायण)
Gidhaur.com | 12/10/2017, गुरुवार

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