जी हाँ उपरोक्त बातें गिद्धौर में सदियों से चरितार्थ होते आ रही हैं। देश में भले ही कुछ लोग सहिष्णुता और असहिष्णुता पर बहस छेड़ने की कोशिशों में लगे हैं, लेकिन दूसरी ओर गिद्धौर हिन्दू-मुस्लिम सभी भेदभाव मिटाकर साम्प्रदायिक सौहार्द, एकता एवं भाईचारे की मिसाल दे रहे हैं।
यहाँ की बात करें तो गिद्धौर बाजार स्थित महावीर मंदिर (बजरंगबली मंदिर) के चबूतरे पर तड़के सुबह से देर रात तक हिन्दू-मुस्लिम भाई मौसम का मजा लेते, आराम फरमाते एवं चाय की चुस्कियों के साथ देश-दुनिया के हालात पर बातचीत करते मिल जाएंगे। प्यास लगने पर इनकी तलब मंदिर के ही चापाकल के पानी से बुझती है।
ख्यातिप्राप्त गिद्धौर के दुर्गा पूजा-लक्ष्मी पूजा मेले में अपनी आजीविका के निर्वहन हेतु अल्पसंख्यक समुदाय के व्यवसायी भी अपने स्टाल एवं दूकान लगाते हैं। इसके अलावा मेले का आनंद भी दोनों समुदाय के लोग साथ मिलकर उठाते हैं जिसमें गिद्धौर सहित क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य गांव मौरा, अलखपुरा, बानपुर, धनियाठीका व जिलेभर के लोग शामिल होते हैं।
ऐसी मीमांशा एवं आकांक्षा है कि गंगा-जमुनी तहज़ीब की ऐसी अनूठी मिसाल गिद्धौर में सदैव बनी रहे।
ख्यातिप्राप्त गिद्धौर के दुर्गा पूजा-लक्ष्मी पूजा मेले में अपनी आजीविका के निर्वहन हेतु अल्पसंख्यक समुदाय के व्यवसायी भी अपने स्टाल एवं दूकान लगाते हैं। इसके अलावा मेले का आनंद भी दोनों समुदाय के लोग साथ मिलकर उठाते हैं जिसमें गिद्धौर सहित क्षेत्र के मुस्लिम बाहुल्य गांव मौरा, अलखपुरा, बानपुर, धनियाठीका व जिलेभर के लोग शामिल होते हैं।
ऐसी मीमांशा एवं आकांक्षा है कि गंगा-जमुनी तहज़ीब की ऐसी अनूठी मिसाल गिद्धौर में सदैव बनी रहे।
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