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सोनो : 25 दिसंबर को होगी अहिवरन जयंती, जानें बरनवाल समाज का इतिहास

Gidhaur.com (सोनो) : उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर के सैकड़ों वर्ष पुर्व के महाराजा अहिवरन की जयंती पुरे बिश्व में बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। इसकी जानकारी देते हुए झामुमो नेता सह वैश्य समाज के प्रदेश अध्यक्ष ओंकार नाथ बरनवाल ने बताया कि महाराजा अहिवरन जयंती समारोह के अवसर पर देश के कई राज्यों मे हमने हिस्सा लिया, जहां पर देश के विभिन्न शहरों से आये बरनवाल समाज के हजारों प्रतिष्ठित लोगों ने भाग लिया। महाराजा अहिवरन के संबंध में बताते हुए ओंकार नाथ बरनवाल ने कहा कि बरनवाल समाज का इतिहास उत्तर प्रदेश के बुलंद शहर से शुरू हुआ, बुलंद शहर के राजा अहिवरन ने बरनवाल नामक एक किले का निर्माण किया ओर तभी से बुलंद शहर उत्तर प्रदेश की राजधानी बनी।

उन्होंने बताया कि आज भी बुलंद शहर में अपर कोर्ट नामक एक जगह है जिसे महाराजा अहिवरन का किला माना जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि बरनवाल साम्राज्य ने सैकड़ों वर्ष तक व्यापार और कला को संयोजित किया, जिस कारण महाराजा अहिवरन ने व्यापार को बढ़ावा देते हुए प्रजा की भलाई के लिए वैश्य धर्म को अपना लिया। सन 1992 ई. में मो. गौरी के सेनापति कुतुबुद्दीन तुगलक ने बरन शहर पर आक्रमण कर इस किले को अपने कब्जे में कर लिया था। बुलंद शहर के भटोरा,  बिरपुर, गालीबपुर आदि गांवो में की गई खुदाई के दौरान बरनवाल साम्राज्य की कुछ मुर्तियां और सिक्के मिले, जो लखनऊ के राजकीय संग्रहालय में सुरक्षित रखा हुआ है।

श्री बरनवाल ने बताया कि महालक्ष्मी व्रत कथा के अनुसार अयोध्या के सूर्यवंशी क्षत्रिय राजा मंधाता के दो पुत्र गुनाधी ओर मोहन हुए। मोहन के पुत्र वल्लभ और वल्लभ के पौत्र अग्रसेन हुए, जिन्होंने अग्रवाल वंश की शुरुआत की। वहीं दूसरे गुनाधी के पुत्र परामल और परामल के पौत्र अहिवरन हुए, जिन्होंने बरनवाल वंश की शुरुआत की।
ज्ञात हो, बरनवाल समाज के विघटन के बाद यह समाज देश के अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न उपनामों क्रमश: गोयल, शाहजाद, अग्रवाल तथा जयसवाल आदि के नाम से बसने लगे। पाठकों को जानकारी देते चलें कि,  महाराजा अहिवरन की जयंती जमुई जिले के सोनो बाजार में 25 दिसंबर, सोमवार को धुमधाम के साथ मनाया जाएगा।

चन्द्रदेव बरनवाल
सोनो        |       15/10/2017, रविवार

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