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नारी जीवन की अस्मिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न है-दहेज

भारतीय समाज के रंगमंच पर "दहेज" बहुत ही घिनौना अभिनय कर रही है। इस दहेज ने नारी जीवन की अस्मिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। पहले यह प्रथा सहज और सात्विक थी, पर धीरे-धीरे इसमें बुराई का प्रवेश होता गया और आज यह पूरी सामाजिक व्यवस्था को तहस-नहस करने पर उतारू है। यह समाज के पतन का ही प्रमाण है कि आज कन्या की श्रेष्ठता उसके शील, सौन्दर्य, और गुणों से नहीं बल्कि उसके मां बाप के धन से आंकी जाती है, जिसके कारण पारिवारिक और सामाजिक मर्यादाएं बिखर जाती है।

इसी संदर्भ में लोक प्रसिद्ध गायक व अभिनेता मिथलेश यदुवंशी ने दहेज के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि दहेज की चमक-दमक में कन्या के गुण छुप जाते हैं। इस दहेज ने ही भ्रूण हत्या जैसे हानिकारक असामाजिक तत्व को भी जन्म दिया है। यदि दहेज पर रोक लगाया जाए तो भ्रूण हत्या पर स्वयं रोक लग जाएगा।
श्री यदुवंशी ने कहा कि इस सामाजिक कलंक को दूर करने के लिए शिक्षित युवाओं को आगे आना होगा। सामाजिक सहयोग से मात्र एक रूपये से ही विवाह किया जा सकता है। सरकार को भी इस दिशा मे पहल कर मुहिम चलाना चाहिए। दहेज प्रथा के अभिशाप से मुक्त होने के लिए युवाओं के दृढ़ संकल्पित होना होगा, तभी हम युवा एक दहेज मुक्त समाज का निर्माण कर भ्रूण हत्या पर भी विराम लगा सकेंगे।

(अभिषेक कुमार झा)
गिद्धौर     |     01/09/2017, शुक्रवार 

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