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जब कूड़े की ढेर में देवालय, तो कैसे बने स्वच्छ भारत?

कहते हैं स्वच्छता में ईश्वर का वास होता है। स्वच्छ भारत अभियान के तहत जहां एक ओर सड़क से लेकर दफ्तर और सार्वजनिक स्थानों में बेहतर स्वच्छता होने के दावे किए जा रहे हैं, वहीं पूजा स्थलों व मंदिरों के आसपास के क्षेत्र इस अभियान की अनदेखी के शिकार हो रहे हैं। यदि आपको स्वच्छ भारत अभियान की वास्तविकता देखनी हो तो गिद्धौर के उलाई नदी तट पर स्थित प्रसिद्ध दुर्गा मन्दिर व पंच मंदिर जा सकते हैं। यहाँ मंदिर सहित आसपास के क्षेत्रों में गंदगी ने पैठ जमा रखी है। यह गंदगी न सिर्फ कूड़े के ढेर, बल्कि मलबे और अतिक्रमण के रूप में भी देखी जा सकती है। यह न केवल स्वच्छता अभियान की पोल खोल रहा है, बल्कि पवित्र पूजा स्थलों पर प्रदूषण और गंदगी के अम्बार को भी प्रदर्शित कर रहा है। यूँ कहें कि प्रखंड मुख्यालय हो या इसके ग्रामीण क्षेत्र, मंदिर के आसपास की गंदगी, सफाई व्यवस्था की बदहाली का पूरा सच बयां करती हैं। हालांकि मंदिर के भीतर का परिसर और मुख्य द्वार की सफाई संतोषजनक रहती है, लेकिन आसपास के क्षेत्र में कूड़े का ढेर, पूजा सामग्रियों के अवशेष, सूखे फूल-पत्तियों के ढेर बिखरे होते हैं। इससे मंदिर की स्वच्छता भंग होती है। नियमित सफाई का अभाव और इसे लेकर गंभीर न होने के परिणामस्वरुप गंदगी की वजह से बचे हुए कूड़े और प्रसाद के जूठे पत्तलों के लालच में कुत्ते भी मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द डेरा जमाए रहते हैं। मंदिरों के ठीक सामने कूड़ा होने की वजह से बदबू फैलती है और यहाँ के वातावरण को प्रदूषित करती है। विशेषतः शादी-विवाह के अवसर पर गंदगी अधिक देखने को मिलती है । गिद्धौर के पंच मंदिर का भी कुछ ऐसा ही हाल है। लेकिन इन सबसे बेखबर सम्बंधित लोगों की नजर शायद अब तक इस गंदगी को देख नहीं पाई हैं। कमोबेश सभी मंदिरों की सफाई के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इतने सारे जनप्रतिनिधियों के इस छोटे से इलाके में अब देखना यह है कि आने वाले समय में कौन इस बात की सुध लेता है और मंदिरों व पूजा स्थलों की साफ़-सफाई की समुचित व्यवस्था करवाने में अपना योगदान देता है।
(अभिषेक कुमार झा)
गिद्धौर, 24/02/2017, शुक्रवार

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